केंद्र सरकार ने देश में कृषि क्षेत्र के विकास और ग्रामीण क्षेत्र को पारदर्शी बनाने के लिए बड़ा और अहम फैसला लिया है। सरकार ने देशभर की 63,000 प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटीज (पैक्स) के कम्प्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये के खर्च की मंजूरी दी है।
छोटे किसानों को मिलेगा लाभ
पैक्स के कम्प्यूटरीकरण से देश के लगभग 13 लाख छोटे किसानों को फायदा मिलेगा। यह फैसला खासकर छोटे और सीमान्त किसानों को लाभ पहुंचाएगा। सरकार के मुताबिक इस फैसले से पारदर्शिता बढ़ेगी और सेवाओं की आपूर्ति बेहतर हो सकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में बताया गया है कि पूरे देश में सभी पैक्स को कंप्यूटराइज्ड करने काम शुरू होगा।
ग्रामीण क्षेत्र के लिए वरदान
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सहकारिता से जुड़े लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध है और केंद्रीय मंत्रिमंडल का 63,000 पैक्स के कंप्यूटरीकरण का फैसला इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा। इस फैसले के लिये मैं उनका आभार प्रकट करता हूं। उन्होंने यह भी बताया कि पैक्स सहकारिता क्षेत्र की सबसे छोटी इकाई है और इसका कंप्यूटरीकरण बेहद कारगर कदम है।
इस डिजिटल युग में पैक्स के कंप्यूटरीकरण का फैसला इनकी पारदर्शिता, विश्वसनीयता व कार्यक्षमता को बढ़ाएगा और बहुउद्देश्यीय पैक्स की ‘अकाउंटिंग’ में भी सुविधा होगी। लोगों की सुविधा के लिए सॉफ्टवेयर स्थानीय भाषाओं में भी उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि इससे पैक्स को विभिन्न सेवाएं जैसे प्रत्यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी), फसल बीमा योजना व खाद, बीज आदि लागत प्रदान करने के लिए एक नोडल केंद्र बनने में भी मदद मिलेगी।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कंप्यूटराइजेशन की इस परियोजना में साइबर सुरक्षा और डेटा स्टोरेज के साथ क्लाउड-आधारित सामान्य साझा सॉफ्टवेयर के विकास समेत पैक्स को हार्डवेयर संबंधी सहायता प्रदान करना शामिल है। पैक्स कर्मचारियों को ट्रेंड भी किया जाएगा। पैक्स में लगभग 13 करोड़ किसान सदस्य के रूप में शामिल होते हैं और जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जहां कम्प्यूटरीकरण हो चुका है, वहां के लिए क्या है शर्त
शाह ने कहा कि देश में सभी संस्थाओं की तरफ से दिए गए केसीसी ऋणों में पैक्स का हिस्सा 41 प्रतिशत (3.01 करोड़ किसान) है। पैक्स के माध्यम से इन केसीसी ऋणों में से 95 प्रतिशत (2.95 करोड़ किसान) छोटे व सीमांत किसानों को दिए गए हैं। अन्य दो स्तरों अर्थात राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) को पहले ही नाबार्ड द्वारा स्वचालित कर दिया गया है और उन्हें साझा बैंकिंग सॉफ्टवेयर (सीबीएस) के तहत ला दिया गया है। कुछ राज्यों में पैक्स का आंशिक आधार पर कम्प्यूटरीकरण किया गया है। उन्होंने कहां कि जिन राज्यों में पैक्स कम्प्यूटरीकरण पूरा हो चुका है, उन्हें 50,000 रुपये प्रति पैक्स की दर से राशि दी जाएगी। लेकिन शर्त यह है कि वे साझा सॉफ्टवेयर के साथ एकीकृत होने और उसे अपनाने के लिए सहमत हों।