सरकार ने एक बार फिर से घरेलू क्रूड (Domestic Crude Oil) के निर्यात पर शुल्क में वृद्धि कर दी है। अधिसूचना के मुताबिक, अब घरेलू क्रूड के निर्यात पर 17,750 रुपये प्रति टन शुल्क लगेगा। विमान ईंधन के निर्यात पर लगने वाले चार रुपये प्रति लीटर के शुल्क को पूरी तरह से हटा लिया है। डीजल के निर्यात पर लगने वाले शुल्क को 11 रुपये प्रति लीटर से घटाकर पांच रुपये प्रति लीटर किया गया है।
1 जुलाई को केंद्र ने पेट्रोल और एटीएफ पर 6 रुपये प्रति लीटर और डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर का निर्यात शुल्क लगाया। घरेलू कच्चे तेल की बिक्री पर 23,250 रुपये प्रति टन का अप्रत्याशित कर लगाया गया था। करों की पहली बार 20 जुलाई को समीक्षा की गई थी, जिसमें पेट्रोल निर्यात पर रुपये 6 प्रति लीटर शुल्क को समाप्त कर दिया गया था और डीजल और जेट ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर कर क्रमशः 11 रुपये और 4 रुपये घटा दिया गया था। घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर कर भी 20 जुलाई को घटाकर 17,000 रुपये प्रति टन कर दिया गया। राजस्व सचिव तरुण बजाज ने 1 जुलाई को कर लगाए जाने के बाद कहा था कि विदेशी विनिमय दर और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों सहित अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए हर 15 दिनों में इसकी समीक्षा की जाएगी।
कब लगाया गया विंडफॉल टैक्स
सरकार ने पहली बार 1 जुलाई को रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण ऊर्जा की ऊंची कीमतों के कारण तेल और गैस कंपनियों द्वारा किए गए उच्च मुनाफे के बीच विंडफॉल टैक्स लगाया। दरअसल, घरेलू उत्पादक अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क कीमतों पर रिफाइनर को कच्चा तेल बेचते हैं। पिछले कुछ दिनों से कच्चे तेल की कीमतें काफी हद तक अस्थिर रही हैं। इनमें पिछ्ले कुछ महीने में तेज उतार-चढ़ाव देखा गया है। 02 अगस्त मंगलवार को इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर ब्रेंट का अक्टूबर अनुबंध 100.12 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जो पिछले बंद से 0.09 फीसद अधिक था। NYMEX पर WTI का सितंबर अनुबंध 0.36 प्रतिशत बढ़कर 94.23 डॉलर प्रति बैरल हो गया।