अयोध्या। सावन में झूला उत्सव मनाने के लिए उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर में भगवान राम के लिए 21 किलोग्राम का विशेष झूला लगाया गया है। अयोध्या में सावन झूला उत्सव की परंपरा है।
राम मंदिर में रामलला के झूलन उत्सव की शुरुआत
श्रावण शुक्ल तृतीया से पूर्णिमा तक भगवान श्रीराम झूले (Ramlala On Jhula) पर दर्शन देते हैं। अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला के लिए 21 किलो का चांदी का झूला 21 (KG Silver Jhula) ट्रस्ट की ओर से बनवाया गया है। शुक्ल पक्ष पंचमी से अस्थाई राम मंदिर में रामलला के झूलन उत्सव की शुरुआत होगी।
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21 किलो चांदी का 5 फुट ऊंचा झूला
रामलला के दरबार में पहली बार झूलन उत्सव की धूम देखने को मिलेगी. रामलला के लिए 21 किलो चांदी का 5 फुट ऊंचा ये झूला मंदिर परिसर में पहुंच चुका है. अब भक्तों को रामलला झूले पर दर्शन देंगे. अयोध्या के सभी मंदिरों में तीज से ही झूलन उत्सव की शुरुआत हो जाती है. लेकिन राम मंदर में पंचमी से झूलन उत्सव की परंपरा है.
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पंचमी से मनाया जाएगा श्री रामलला का झूलनोत्सव
हालांकि, अयोध्या के सभी मठ मंदिर में तृतीया से ही झूलन उत्सव शुरू हो चुका है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य ने बताया कि, राम जन्मभूमि में भी श्री रामलला का झूलनोत्सव ( Jhula Utsav) पंचमी से मनाया जाएगा. जिसके लिए चांदी का झूला लाया गया है जिस पर पंचमी तिथि को श्री रामलला अपने भाइयों के साथ विराजमान होंगे और विधि विधान से पूजन अर्चन के साथ उत्सव का शुभारंभ किया जाएगा होगा.
500 साल के बाद चांदी के झूले में झूला झूलेंगे रामलला
राम जन्मभूमि परिसर के अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला 500 साल के बाद पहली बार चांदी के झूले में झूला झूलेंगे। दरअसल, 500 साल बाद पहली बार सावन महीने के दौरान यहां झूला उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस परंपरा के तहत भगवान राम, जो सालों से टेंट में विराजमान रहे हैं उन्हें विशेष झूले पर झुलाया जाता है।
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अयोध्या प्रशासन कोरोना वायरस को देखते हुए सरयू घाटों पर स्नान करने पर रोक लगाने का आदेश दिया है। मंदिर नगर की सीमाओं को भी सील कर दिया गया है।