स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने एक रिसर्च रिपोर्ट शेयर किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में गरीबी में तेज गिरावट के साथ-साथ ग्रामीण-शहरी आय विभाजन में भी उल्लेखनीय कमी आई है।
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018-19 के बाद से ग्रामीण गरीबी में 440 आधार अंकों की महत्वपूर्ण गिरावट आई है। वहीं कोविड महामारी के बाद शहरी गरीबी में 170 आधार अंकों की गिरावट आई है।
यह गिरावट दर्शाता है कि लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल का महत्वपूर्ण लाभकारी प्रभाव पड़ रहा है। बता दें कि एसबीआई ने उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण किया था। इस सर्वे के आधार पर ही एसबीआई ने रिपोर्ट जारी की है।
एसबीआई की रिपोर्ट
इन अधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण गरीबी अब 7.2 प्रतिशत है जो वर्ष में 2011-12 में 25.7 फीसदी है। वहीं शहरी गरीबी वर्ष 2011-12 में 13.7 प्रतिशत है। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत अधिक आकांक्षी बन रहा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विवेकाधीन उपभोग (जैसे पेय पदार्थ, नशीले पदार्थ, मनोरंजन, टिकाऊ सामान आदि पर खर्च) की बढ़ी हिस्सेदारी है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्नत भौतिक बुनियादी ढांचा दो-तरफा ग्रामीण-शहरी गतिशीलता को सक्षम कर रहा है। जिन राज्यों को कभी पिछड़ा माना जाता था, वे ग्रामीण और शहरी अंतर में सबसे अधिक सुधार दिखा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में तेजी देखने को मिल रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीपीआई गणना में संशोधित एमपीसीई भार भारत को वित्त वर्ष 2024 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 7.5 प्रतिशत तक पहुंचने में मदद कर सकता है।
शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में आकांक्षा की गति तेज है। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण और शहरी मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) के बीच का अंतर अब 71.2 प्रतिशत है, जो 2009-10 में 88.2 प्रतिशत से तेजी से गिरावट आई है।
ग्रामीण एमपीसीई का लगभग 30 प्रतिशत मुख्य रूप से सरकार द्वारा डीबीटी हस्तांतरण, ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश, किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण आजीविका में उल्लेखनीय सुधार के संदर्भ में उठाए गए कदमों के कारण होता है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्नत भौतिक बुनियादी ढांचा दो-तरफा ग्रामीण-शहरी गतिशीलता को सक्षम कर रहा है, जो ग्रामीण और शहरी परिदृश्य के बीच बढ़ते क्षैतिज आय अंतर और ग्रामीण आय वर्गों के भीतर ऊर्ध्वाधर आय अंतर का मुख्य कारण है।