Diwali 2024: दिवाली पर देवी-देवताओं की पूजा करने के साथ-साथ दीये जलाना शुभ माना जाता है। चलिए जानते हैं धनतेरस, नरक चतुर्दशी और दिवाली पर 13 या 14 कितने शुभ के दीपक जलाने चाहिए।
Diwali 2024: दिवाली यानी दीपावली को हिंदुओं के बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। सबसे पहले धनतेरस फिर नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और अंत में भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। दिवाली से कुछ दिन पहले ही लोग अपने घरों व दुकानों को लाइटों और फूलों से सजाते हैं। जबकि इन पांच दिनों के दौरान घर व दुकानों में दिये जलाए जाते हैं, जिसे अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, धनतेरस, नरक चतुर्दशी और दिवाली के दिन जलाने वाले प्रत्येक दीयों की संख्या अलग होती है, जिसका अपना महत्व है। चलिए जानते हैं इन तीनों शुभ दिन कितने-कितने दीपक घर में जरूर जलाने चाहिए।
धनतेरस
देशभर में 29 अक्टूबर 2024 को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि धनतेरस के दिन 13 दीये जलाने चाहिए। पहला दीया प्रवेश द्वार पर, दूसरा रसोई घर में और तीसरा दीया मंदिर में रखना चाहिए। बाकी बचे हुए 10 दीपक को घर के कोने-कोने में रखना शुभ रहेगा।
नरक चतुर्दशी
धनतेरस के अगले दिन 30 अक्टूबर 2024 को छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन 13 की जगह 14 दीये जलाने चाहिए। सबसे पहले एक थाली लें। उसके किनारे पर 13 दीये और बीच में एक चौमुखी दीपक रखें। चौमुखी दीपक को सबसे पहले जलाएं, जिसके बाद अन्य दीपक को एक एक करके जलाएं। सभी दीपक को घर के कोने-कोने में रख दें।
दिवाली
देशभर में इस बार 31 अक्टूबर 2024 को खुशियों के प्रतीक दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। बड़ी दिवाली यानी दिवाली पर 14 दीपक जलाने चाहिए। पहला दीपक घर के मुख्य द्वार, दूसरा रसोई घर, तीसरा बालकनी और चौथा दीपक मंदिर में जलाएं। बाकी 10 बचे हुए दीपक घर के कोने-कोने में रख दें। 14 दीपक के साथ घर के मुख्य द्वार के पास और बालकनी पर मोमबत्ती जरूर लगाएं।
दिवाली पर किस तेल का दीपक जलाएं?
धनतेरस, नरक चतुर्दशी और दिवाली के दौरान आप अपने घर में घी, सरसों के तेल या अलसी के तेल यानी फ्लैक्स सीड ऑयल का दीपक जला सकते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, दिवाली पर अलसी के तेल का दीपक जलाने से कुंडली में शनि, राहु और केतु का अशुभ प्रभाव कम होता है। साथ ही घर-परिवार में खुशियों का आगमन होता है।