लक्ष्मीनारायण ग्लोबल म्यूजिक फेस्टिवल के हिस्से के रूप में संगीतकार एल सुब्रमण्यम और कविता कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम द्वारा ‘माई नेम इज लेखन’ संगीतकार को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।
प्रतिष्ठित संगीतकार प्यारेलाल शर्मा को लक्ष्मीनारायण अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लक्ष्मीनारायण ग्लोबल म्यूजिक फेस्टिवल के हिस्से के रूप में संगीतकार एल सुब्रमण्यम और कविता कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम द्वारा ‘माई नेम इज लेखन’ संगीतकार को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है। सभी संगीतकार को इस सम्मान के लिए ढेर सारी बधाई दे रहे हैं।
संगीतकार प्यारेलाल को मिला लक्ष्मीनारायण अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार
प्यारेलाल अपने आठ दशकों से अधिक लंबे करियर में हिंदी सिनेमा के सबसे सफल संगीतकारों में से एक हैं। महान संगीतकार ने संगीत सम्राट लक्ष्मीकांत शांताराम कुडालकर के साथ मिलकर सुपरहिट सॉन्ग्स दिए हैं। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी ने ‘दोस्ती’, ‘हम सब उस्ताद हैं’, ‘आए दिन बहार के’, ‘मेरे हमदम मेरे दोस्त’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘बॉबी’, ‘रोटी’ ‘कपड़ा और’ सहित सदाबहार गाने बनाए हैं।
पद्म भूषण से भी होंगे सम्मानित
हाल ही में, प्यारेलाल को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण के प्राप्तकर्ता के रूप में घोषित किया गया था। पिछले दिनों लक्ष्मीकांत की बेटी राजेश्वरी लक्ष्मीकांत ने इस सम्मान पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा,‘‘हम बहुत खुश हैं कि प्यारेलाल अंकल को आखिरकार पुरस्कार मिल गया…हमें लगता है कि जब बात पद्मभूषण सम्मान की है तो आप लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को अलग-अलग नहीं कर सकते और प्यारेलाल अंकल को सिर्फ इसलिए पुरस्कार नहीं दे सकते कि वह यहां हैं और मेरे पिता दुर्भाग्यवश गुजर चुके हैं।’’
35 से अधिक वर्षों तक संगीत देकर किया मनोरंजन
लक्ष्मीकांत कुडालकर और प्यारेलाल शर्मा ने वर्ष 1963 में फिल्म ‘पारसमणि’ से संगीतकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और एक साल बाद ‘दोस्ती’ की सफलता के साथ अपनी पहचान बनायी। संगीतकार जोड़ी ने ‘दो रास्ते’, ‘दाग’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘बॉबी’, ‘अमर, अकबर, एंथनी’ और ‘कर्ज’ जैसे प्रतिष्ठित फिल्मों में संगीत दिया और 35 से अधिक वर्षों तक संगीत देकर इतिहास रचा।