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वीवो के अधिकारियों के बचाव में आया चीन

चीन ने सोमवार को कहा है कि वह भारत में चीनी स्मार्टफोन निर्माता वीवो के लिए काम करने वाले गिरफ्तार कर्मचारियों को राजनयिक सुरक्षा और सहायता प्रदान करेगा। साथ ही चीनी व्यवसायों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए अपना दृढ़ समर्थन व्यक्त किया। चीन ने भारत से अनुरोध किया है कि वह उसकी कंपनियों के साथ भेदभाव नहीं करे। ईडी ने पिछले हफ्ते चीनी स्मार्टफोन निर्माता और कुछ अन्य के खिलाफ मनी लांड्रिंग जांच के दौरान वीवो इंडिया के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया था।

चीन की विदेश विभाग की प्रवक्ता ने जारी किया बयान

चीन की विदेश विभाग की प्रवक्ता माओ निंग ने सोमवार को कहा कि हम मामले पर करीबी नजर रख रहे हैं। भारत में चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावास कानून के अनुसार संबंधित व्यक्तियों को राजनयिक सुरक्षा और सहायता प्रदान करना जारी रखेंगे। हमें उम्मीद है कि भारत दोनों देशों के बीच व्यापार सहयोग की पारस्परिक रूप से लाभप्रद प्रकृति को पूरी तरह से पहचानेगा और निष्पक्ष, न्यायसंगत, पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार वातावरण प्रदान करेगा।

इन लोगों को हिरासत में लिया गया

दरअसल, 23 दिसंबर को वीवो-इंडिया के अंतरिम मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) होंग शुक्वान उर्फ टेरी, मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) हरिंदर दहिया और सलाहकार हेमंत मुंजाल को मनी लांड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रविधानों के तहत हिरासत में लिया गया था।

चार लोगों को किया था गिरफ्तार

केंद्रीय एजेंसी ने इससे पहले इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें मोबाइल फोन निर्माता कंपनी लावा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक (एमडी) हरिओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ एंड्रयू कुआंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक शामिल हैं। चारों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने इन लोगों के खिलाफ हाल ही में दिल्ली की एक विशेष पीएमएलए अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। उधर, रायटर के अनुसार सूत्र ने बताया है कि वीवो कर्मचारी मंगलवार को अदालत में पेश होंगे।

पिछले साल जुलाई में मनी लांड्रिंग रैकेट का हुआ था पर्दाफाश

ईडी ने पिछले साल जुलाई में वीवो-इंडिया और इससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापा मारकर एक बड़े मनी लांड्रिंग रैकेट का पर्दाफाश करने का दावा किया था। इसमें चीनी नागरिकों सहित कई भारतीय कंपनियों से जुड़े लोग शामिल थे। ईडी ने तब आरोप लगाया था कि भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए वीवो-इंडिया द्वारा 62,476 करोड़ रुपये अवैध रूप से चीन को हस्तांतरित किए गए थे। इस पर कंपनी ने कहा था कि वह अपने नैतिक सिद्धांतों का पालन करती है। वह कानून का पालन करने के लिए समर्पित है।

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