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अमित शाह के इस बयान से भड़क उठे एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जानें पूरा मामला

गुजरात चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के बीच तीखी बयानबाजी लगातार जारी है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को अहमदाबाद में एक जनसभा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ‘2002 में दंगाइयों को सबक सिखाने’ वाले बयान पर जमकर निशाना साधा। गुजरात में सबसे बड़ी मुस्लिम बस्ती जुहापुरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए एआईएमआईएम चीफ ने कहा कि अमित शाह ने आज एक सार्वजनिक रैली के दौरान बयान दिया कि उन्होंने 2002 में गुजरात के दंगाइयों को सबक सिखाया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में स्थायी शांति स्थापित की। मैं इस अहमदाबाद निर्वाचन क्षेत्र के सांसद अमित शाह को बताना चाहता हूं कि आपने 2002 में जो सबक सिखाया था वह यह था कि बिलकिस के बलात्कारियों को आप छोड़ देंगे। आपने जो सबक सिखाया वह यह था कि आप बिलकिस की तीन साल की बेटी के कातिलों को रिहा कर देंगे। आपने हमें यह भी सिखाया कि अहसान जाफरी को मारा जा सकता है। ओवैसी ने कहा कि याद रखिए सत्ता की कुर्सी सबसे छीनी जाती है। सत्ता के नशे में, गृहमंत्री कह रहे हैं कि उन्होंने सबक सिखाया … अमित शाह साहब, आपने क्या सबक सिखाया कि 2020 के दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हुए? आपने 2020 के दिल्ली सांप्रदायिक दंगों के दंगाइयों को क्या सबक सिखाया? वेजलपुर निर्वाचन क्षेत्र से अपनी महिला उम्मीदवार ज़ैनब शेख के लिए प्रचार करते हुए ओवैसी ने मतदाताओं से उस उम्मीदवार को वोट देने का आग्रह किया, जो जनता की सेवा करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर आप कांग्रेस या आम आदमी पार्टी (आप) को वोट देंगे तो आपका वोट बर्बाद हो जाएगा। अपने वोट का इस्तेमाल करने के लिए एआईएमआईएम को वोट दें। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में 14 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। गुजरात विधानसभा चुनाव दो चरणों में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को होने हैं। पहले चरण में 89 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा, जबकि बाकी बची 93 विधानसभा सीटों के लिए दूसरे चरण में मतदान होगा। भाजपा ने गुजरात में दंगाइयों को ‘सबक’ सिखाकर शांति कायम की : शाह बता दें कि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा था कि गुजरात में पहले असामाजिक तत्व हिंसा में लिप्त होते थे और कांग्रेस उनका समर्थन करती थी, लेकिन 2002 में ‘सबक सिखाने’ के बाद अपराधियों ने ऐसी गतिविधियां बंद कर दीं और भाजपा ने राज्य में स्थायी शांति कायम की। गुजरात में फरवरी, 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद राज्य के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। शाह ने राज्य में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले खेड़ा जिले के महुधा में भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में रैली करते हुए आरोप लगाया था कि गुजरात में कांग्रेस के शासनकाल में (1995 से पहले), अक्सर साम्प्रदायिक दंगे होते थे। कांग्रेस विभिन्न समुदायों और जातियों के सदस्यों को एक-दूसरे के खिलाफ उकसाती थी। कांग्रेस ने ऐसे दंगों के जरिए अपने वोट बैंक को मजबूत किया और समाज के एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया।

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