सूर्योदयः– प्रातः 06:35:00
सूर्यास्तः– सायं 05:25:00
विशेषः– रविवार को भगवान सूर्य को प्रातः ताम्बे के बर्तन में लाल चन्दन, गुड़ और लाल पुष्प डाल कर अर्घ्य देना चाहिए।
विक्रम संवतः– 2078
शक संवतः– 1943
आयनः– दक्षिणायन
ऋतुः– शिशिर ऋतु
मासः– माघ माह
पक्षः– कृष्ण पक्ष
तिथिः– त्रयोदशी तिथि 17:30:00 तक तदोपरान्त चतुर्दशी तिथि
तिथि स्वामीः- त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी हैं तथा चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव जी हैं।
नक्षत्रः– पूर्वा अषाढ़ा नक्षत्र 24:23:00 तक तदोपरान्त उत्तरा अषाढ़ा
नक्षत्र स्वामीः- पूर्वा अषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी शुक्र देव जी हैं तथा उत्तरा अषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी सूर्य देव जी हैं।
योगः- हर्षण 14:14:00 तक तदोपरान्त वज्र
गुलिक कालः– शुभ गुलिक काल 03:16:00 से 04:37:00 तक
दिशाशूलः– रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए यदि यात्रा करना आवश्यक हो तो घर से पान या घी खाकर निकलें।
राहुकालः– राहुकाल 04:32:00 से 05:15:00 बजे तक
तिथि का महत्वः– इस तिथि में बैंगन नहीं खाना चाहिए और यह तिथि अन्नप्राशन, गृह प्रवेश, विवाह आदि कार्यो के लिए शुभ मानी गयी है।
” हे तिथि स्वामी, दिन स्वामी, योग स्वामी, नक्षत्र स्वामी आप पंचांग का पाठन करने वालों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखना। ”