- साइबर फ्राड पीड़ितों को टरका नहीं पाएगी पुलिस
- सभी थानों में अक्टूबर से शुरू होगी साइवर हेल्प डेस्क
- 25 हजार पुलिसकर्मियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
लखनऊ। अब साइवर फ्राड की शिकायत लेकर थाने पहुंचे पीड़ितों को पुलिस कर्मी टरका नहीं पाएंगे। उन्हें हर हाल में पीड़ितों की मदद करनी होगी।
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साइबर अपराधों पर लगाम कसने के लिए प्रदेश भर के सभी थानों में साइबर हेल्प डेस्क अक्टूबर से खोली जाएगी।
पुलिस कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण
डीजीपी के आदेश पर 25 हजार पुलिस कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जो 30 सितंबर तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद तैनाती होगी।
हर एक हेल्प डेस्क पर 3 से 4 पुलिसकर्मी होंगे
प्रत्येक हेल्प डेस्क पर तीन से चार पुलिस कर्मी होंगे। अबतक थाना पुलिस उन्हें साइबर अपराध की बात कहकर साइबर क्राइम सेल भेजती थी।
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वहीं, साइबर क्राइम सेल मुकदमा न दर्ज होने की बात कहकर फिर थाने भेज देती थी। इस तरह पीड़ित कई दिनों तक प्रार्थनापत्र लेकर एक से दूसरे दफ्तर के चक्कर काटता रहता था।
प्रार्थनापत्र की जांच करने से लेकर दर्ज कराएंगे रिपोर्ट
थानों में बनी साइबर हेल्प डेस्क पर तैनात पुलिस कर्मियों की जिम्मेदारी होगी कि, वह पीड़ितों के प्रार्थनापत्र की जांच कर उनकी शिकायत केंद्र सरकार द्वारा जारी वेबसाइट और टोल फ्री नंबर पर दर्ज कराएंगे।
इसके साथ ही मामले की जांच करेंगे। जरूरत पड़ने पर रिपोर्ट दर्ज कराएंगे। इतना ही नहीं, उन्हें मामले की प्रगति रिपोर्ट भी पीड़ित को समय-समय पर देनी होगी।
किसी भी तरह का साइवर फ्राड होने पर यहां करें शिकायत
इस टोल फ्री नंबर 155260 पर पुलिस विभाग के साइबर एक्सपर्ट से लेकर बैंक और कई कंपनियां मर्ज की गई हैं।
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लाकडाउन के दौरान बढ़े दो से तीन गना केस
मार्च 2000 में लॉकडाउन के पहले लखनऊ में ही साइबर क्राइम के रोजाना सात से आठ केस आते थे। आज स्थिति यह है कि, रोजाना 18 से 20 शिकायतें सिर्फ साइबर क्राइम सेल से आ रही है। इनमें से 60 फीसद मामले आर्थिक अपराध से संबंधित होते हैं।