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अब मार्च 2022 तक गरीबों को मिल सकेगा मुफ्त गेहूं और चावल, मोदी कैबिनेट ने लिए कई अहम फैसले

मोदी कैबिनेट की अहम बैठक में आज कई फैसले लिए गए। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को मार्च 2022 तक बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा सरकार ने उन जगहों को टेलिकॉम सुविधा से जोड़ने का फैसला किया है जहां वर्तमान में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है. इसके अलावा ग्रामीण इलाको को सड़कों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को फिर से शुरू जाएगा. इसके तहत देश के गांव-गांव को सड़कों से जोड़ा जाएगा.

केंद्रीय कैबिनेट ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को मार्च 2022 तक बढ़ा दिया है। इसको बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है। यानी अब इस योजना के तहत मार्च 2022 तक लाभार्थियों को मुफ्त राशन मिलता रहेगा। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का मार्च 2020 में ऐलान किया गया था। इस योजना का मकसद कोरोना महामारी द्वारा हुए तनाव को कम करना है। शुरुआत में, स्कीम को अप्रैल-जून 2020 की अवधि के लिए लॉन्च किया गया था, लेकिन बाद में इसे 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया था।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत, सरकार नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत पहचान किए गए 80 करोड़ राशन कार्डधारकों को मुफ्त राशन देती है। मुफ्त राशन कार्डधारकों को राशन की दुकानों के जरिए मिलने वाले सब्सिडी वाले अनाज के अलावा और ऊपर होता है।

कैबिनेट के फैसलों की जानकारी केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी। उन्होंने बताया कि मोबाइल टावर कनेक्टिविटी के तहत देश के पांच राज्यों-आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा के 44 जिलों के 7000 से ज्यादा गांवों को मोबाइल कनेक्टिविटी से जोड़ा जाएगा. इन गांवों में 4जी मोबाइल की सुविधा उपलब्ध होगी। यह प्रोजेक्ट करीब 6466 करोड़ रुपए का होगा।

रोड कनेक्टिविटी की बात करें तो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चरण एक और दो को पूर्व में चलाया जा चुका है। अब इसके तीसरे चरण की शुरुआत की जाएगी। इसके तहत देश के उन गांवों और ग्रामीण हिस्सों को जोड़ा जाएगां, जहां अभी रोड की सुविधा नहीं है। सड़क का निर्माण जंगली एरिया, पहाड़ी एरिया, नदी और नालों पर किया जाएगा जिसमें बड़े-बड़े पुल शामिल हैं।

कैबिनेट ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना चरण-1, चरण-2 और वामपंथी चरमपंथ प्रभावित इलाकों में सड़क सम्पर्क योजना को जारी रखने को मंजूरी प्रदान की। उन्होंने बताया कि इस पर 33,822 करोड़ रूपए का अनुमानित व्यय होगा, जिसमें केंद्र की हिस्सेदारी 22,978 करोड़ रूपये होगी ।

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