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कोरोना के बीच निपाह वायरस का खतरा : केरल में 12 साल के बच्चे की मौत, जानें ?

नई दिल्ली। कोरोना के बीच एक और वायरस केरल में जमकर अपना तांडव मचा रहा है. फिलहाल निपाह वायरस से 12 साल के बच्चे की मौत के बाद प्रशासन अलर्ट पर है.

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बच्चे की मौत के बाद अलर्ट पर प्रशासन

वहीं दो और लोगों में निपाह वायरस की पुष्टि हुई है. निपाह वायरस को लेकर अधिकारियों को भी अलर्ट कर दिया गया है. और लोगों से भी ज्यादा सावधानियां बरतने की अपील की जा रही है.

चमगादड़ या सूअर के जरिए इंसानों में फैलता है वायरस

कोरोना की तरह निपाह वायरस भी काफी तेजी से फैलता है. ये चमगादड़ या फिर सूअर के जरिए इंसानों में आ सकता है.

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संक्रमित इंसान से भी दूसरे लोगों में फैलता है वायरस

खतरे की बात ये है कि, एक संक्रमित इंसान निपाह वायरस को कई दूसरे लोगों तक पहुंचा जा सकता है. मतलब एक की वजह से कई दूसरे लोग भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं.

साल 2018 में वायरस से 17 लोगों की जान गई

बता दें कि, मई 2018 में भी केरल में सबसे पहले निपाह वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी. तब निपाह वायरस से 17 लोगों की जान गई थी.

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क्या है निपाह वायरस ?

निपाह एक जूनोटिक वायरस है, जिसका मतलब है कि, यह जानवरों से इंसानों में फैलता है. इसका सबसे पहला मामला मलेशिया में पाया गया था.

इसके बाद सिंगापुर और बांग्लादेश में भी इस वायरस के मामले दर्ज किए गए. ये वायरस चमगादड़ों और सूअर के जरिए इंसानों तक फैलता है.

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वहीं अगर इस वायरस से संक्रमित कोई चमगादड़ या सूअर किसी फल का सेवन करता है, तो उस फल के जरिए भी निपाह वायरस का प्रसार इंसानों में हो सकता है.

अगर किसी शख्स की निपाह वायरस की वजह से जान गई, तो उस परिवार के दूसरे सदस्य भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.

ऐसे में किसी भी निपाह संक्रमित व्यक्ति का अंतिम संस्कार करते समय जरूरत से ज्यादा सावधानी बरतनी होगी. ये वायरस इतना खतरनाक बताया गया है कि इससे किसी की जान भी जा सकती है.

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निपाह वायरस संक्रमण के क्या है लक्षण ?

  1. दिमागी बुखार
  2. लगातार खांसी के साथ बुखार और सांस लेने में तकलीफ
  3. तीव्र श्वसन संक्रमण (हल्का या गंभीर)
  4. इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षण – बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, गले में खराश, चक्कर आना, उनींदापन
  5. न्यूरोलॉजिकल संकेत जो एन्सेफलाइटिस का संकेत देते हैं

सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन एंसेफ़्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है. 5 से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद ये वायरस तीन से 14 दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द की वजह बन सकता है.

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निपाह वायरस इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, निपाह वायरस (NiV) तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है. NiV के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था.

वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला. उस वक़्त इस बीमारी के वाहक सूअर बनते थे. लेकिन इसके बाद जहां-जहां NiV के बारे में पता चला, इस वायरस को लाने-ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे.

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साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए.इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थीं, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है.

बता दें कि, कोरोना खतरे के बीच केरल के सामने निपाह वायरस की चुनौती आ गई है. रविवार को एक 12 साल के बच्चे ने इस वायरस की वजह से अपना दम तोड़ दिया है.

ये वायरस मलेशिया, सिंगापुर और बांग्लादेश में अपना कहर पहले ही दिखा चुका है. अब भारत में भी निपाह वायरस से पहली मौत हो गई है.

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बता दें कि, साल 1998-99 में जब ये बीमारी फैली थी तो इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे. अस्पतालों में भर्ती हुए इनमें से क़रीब 40% मरीज़ ऐसे थे जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी और ये बच नहीं पाए थे.

आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है.

कैसे पकड़ में आएगा निपाह वायरस?

अगर आपको शक है कि आप इस वायरस के संपर्क में आए हैं तो इसका एक RT-PCR टेस्ट करवाया जा सकता है. इसके अलावा PCR, सीरम न्यूट्रिलाइजेशन टेस्ट और एलाइज़ा टेस्ट के जरिए इस वायरस की पहचान की जा सकती है.

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क्या है निपाह वायरस का इलाज?

निपाह वायरस का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है. एक बार के लिए Ribavirin ड्रग को इस वायरस के खिलाफ असरदार माना गया है. लेकिन अभी तक उस ड्रग को भी सिर्फ लैबोरेट्री में टेस्ट किया गया है.

इंसानों पर इस ड्रग का कितना असर रहेगा, ये साफ नहीं है. वहीं साल 2020 में निपाह वायरस से लड़ने के लिए एक वैक्सीन पर काम शुरू किया गया. पहले चरण का ट्रायल शुरू भी हो चुका है जो इसी महीने खत्म होने की संभावना है.

1999 में मलेशिया में कई लोग इस वायरस की चपेट में आए

एक रिसर्च के मुताबिक, साल 1999 में मलेशिया में निपाह वायरस से कुल 265 लोग संक्रमित हुए थे इनमें से 105 मरीजों की मौत हो गई थी.

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पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी जिले में पहली बार जब निपाह वायरस का संक्रमण फैला था तो उस वक्त 66 संक्रमितों में से 45 लोगों की जान चली गई थी.

मतलब उस वक्त मृत्यु दर करीब 68 फीसदी रही थी. वहीं इसके बाद साल 2007 में नदिया जिले में वायरस फैला था जिसमें सभी पांच संक्रमित लोगों की मौत हो गई थी.

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क्या बरते सावधानी ?

अभी के लिए निपाह का इलाज सिर्फ और सिर्फ सावधानी ही है. अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो इस वायरस की चपेट में आने से बचा जा सकता है.

चमगादड़ और सूअर के संपर्क में आने से बचें, जमीन या फिर सीधे पेड़ से गिरे फल ना खाएं, मास्क लगाकर रखें और समय-समय पर हाथ धोते रहें. वहीं अगर कोई भी लक्षण दिखाई पड़े तो सीधे डॉक्टर से संपर्क साधें.

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