नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच खूनी जंग जारी है. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का आज दूसरा दिन है. इस हमले में कई सैनिकों और आम लोगों की जान जा चुकी है.
अयोध्या में सीएम सीएम ने किए रामलला के दर्शन, हनुमान गढ़ी में की पूजा अर्चना
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की का दावा है कि इस जंग में अभी तक कम से कम 137 लोगों की मौत हो गई है. रूस के सैनिक आधुनिक हथियारों और मिसाइलों के जरिए हमला कर रहे हैं.
गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी
रूस के इस कदम की दुनिया के कई देश आलोचना कर रहे हैं. वही अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत कई और देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी है.
इस बीच ये सवाल है कि, आखिर रूस और यूक्रेन के बीच झगड़े की असली वजह क्या है और नाटो का इस संकट से क्या लेना देना है? कुछ अहम बिंदुओं के जरिए हम इसे समझने की कोशिश करते हैं.
रूस-यूक्रेन संकट और नाटो की भूमिका
- रूस का मानना है कि यूक्रेन नाटो (NATO) यानी उत्तरी अटलांटिक संधि गठबंधन और यूरोपीय संघ दोनों के जरिए पश्चिम के और करीब बढ़ रहा है. यूक्रेन फिलहाल नाटो का सदस्य नहीं है लेकिन उसने गठबंधन के साथ सहयोग किया है उसमें शामिल होने की उसकी इच्छा है.
- नाटो की विस्तार योजना का रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन विरोध कर रहे हैं. वह नहीं चाहते हैं कि यूक्रेन नाटो में शामिल हो और उसकी विस्तार योजना का हिस्सा बने. पुतिन यूक्रेन पर पश्चिमी देशों के हाथों की कठपुतली होने का भी आरोप लगाते रहे हैं.
- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अमेरिका और नाटो से इस बात की गारंटी चाहते हैं कि यूक्रेन को नाटो की विस्तार योजना का हिस्सा न बनाया जाए लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से इनकार के बाद तनाव काफी बढ़ गया
- उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानी नाटो, 1949 में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा तत्कालीन सोवियत संघ के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया था. इसका घोषित उद्देश्य राजनीतिक और सैन्य साधनों के जरिए सदस्य देशों की रक्षा और स्वतंत्रता की गारंटी देना है.
- नाटो लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देता है और अपने सदस्य राष्ट्रों की समस्याओं का समाधान करने, विश्वास बहाल करने और लंबे वक्त से चले आ रहे संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. रक्षा और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर परामर्श और सहयोग करने में सक्षम बनाता है.
नाटो क्या है और उसके सदस्य कौन-कौन हैं?
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) को 1949 में अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों की ओर से तत्कालीन सोवियत संघ के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया था. इसके पास डिजास्टर मैनेजमेंट अभियान चलाने की सैन्य शक्ति है. वर्तमान समय में इसमें 30 सदस्य हैं.
गुजरात से आए प्रमुख लोगों ने अखिलेश यादव से की मुलाकात, PM मोदी के गुजरात मॉडल को बताया झूठ का मॉडल
साल 1949 में संस्थापक सदस्यों में अमेरिका, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल और यूके शामिल थे. नाटो के अन्य सदस्य देशों में तुर्की, जर्मनी, स्पेन, ग्रीस, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और रोमानिया शामिल हैं. इसके अलावा स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, मोंटेनेग्रो, उत्तरी मैसेडोनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया भी इसके सदस्य राष्ट्र हैं.