महाराष्ट्र के मंत्री और वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने मराठों को ओबीसी समुदाय के लिए कोटे से आरक्षण देने की बात का विरोध किया है। दो ओबीसी कार्यकर्ता भी मराठों के आरक्षण की मांग के बाद अनशन पर बैठे हैं।
अनशन पर बैठे आंदोलनकारियों के सरकारी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद वरिष्ठ ओबीसी नेता ने स्पष्ट किया कि मराठोंं को ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्य में जातीय जनगणना की जानी चाहिए।
13 जून से दो ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हेक और नवनाथ वाघमारे अनशन पर बैठे हुए हैं। सोमवार को सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने दोनों से मुलाकात की। उन्होंने दोनों से अनशन खत्म करने का आग्रह किया, साथ की पानी पीने के लिए अनुरोध किया। लेकिन दोनों आंदोलनकारियों ने इससे इंकार कर दिया। आंदोलनकारियों का कहना है कि वे मराठों के लिए आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इससे ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होना चाहिए।
वहीं वरिष्ठ ओबीसी नेता और महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के लिए कोटे से आरक्षण नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्य में जाति जनगणना की अपनी मांग दोहराई। भुजबल ने कहा, “मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे से आरक्षण नहीं दिया जा सकता। हम ऐसा नहीं कह रहे हैं, लेकिन आरक्षण को लेकर पिछले चार आयोग ने यही कहा है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे नकार दिया है।”
राज्य मंत्री ने मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे के विरोध का हवाला देते हुए कहा कि अब फिर से ओबीसी (कोटा) से आरक्षण की मांग हो रही है। भुजबल ने कहा कि राज्य में जाति आधारित जनगणना से ओबीसी समुदाय को अधिक धन मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा। हड़ताली ओबीसी कार्यकर्ता राज्य सरकार की मसौदा अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जिसमें कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के “ऋषि सोयारे” (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता दी गई है। भुजबल ने आगे कहा कि उन्होंने राज्य विधानसभा को दिखाया है कि किस तरह कुनबी रिकॉर्ड में हेराफेरी की जा रही है।