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मशहूर संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल में से एक को मिला सम्मान…

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की मशहूर संगीतकार जोड़ी ने 500 से ज्यादा फिल्मों के लिए साथ में काम किया। लक्ष्मीकांत अब इस दुनिया में नहीं हैं। हाल ही में प्यारेपाल को पद्म भूषण दिया गया। इस पर लक्ष्मीकांत की पत्नी जया कुदलकर ने दिवंगत संगीतकार के लिए भी मरणोपरांत पुरस्कार की मांग की है।

बॉलीवुड की मशहूर संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को कौन नहीं जानता। संगीत के दीवाने इन दोनों संगीतकारों ने तब से साथ में संगीत कंपोज करना शुरू कर दिया था, जब ये बहुत छोटे थे। लक्ष्मीकांत कुदलकर 12 साल के और प्यारेलाल शर्मा महज 9 साल के थे। इन दोनों ने मुंबई में इतनी छोटी उम्र से साथ काम करना शुरू कर दिया था। जब तक ये दोनों अपनी टीनेज तक पहुंचते, तब तक तो इन्होंने फिल्मों के स्कोर बनाने शुरू कर दिए गए थे। जहां बचपन से ये जोड़ी साथ थी, वहीं, हाल ही में सिर्फ संगीतकार प्यारेलाल को पद्म भूषण से नवाजा गया है। जिस बात से लक्ष्मीकांत की पत्नी जया कुदलकर दुखी हैं। उन्होंने इस बारे में सरकार को एक पत्र भी लिखा है। गौरतलब है कि 1998 में संगीतकार लक्ष्मीकांत का निधन हो गया था।

दोनों ने हमेशा साथ काम किया
लक्ष्मीकांत की पत्नी जया कुदलकर ने बताया कि छोटी उम्र से ही इन दोनों ने काम करना शुरू कर दिया था। तब इनकी टांगे भी छोटी थीं, साउंड रिकॉर्डिंग सिस्टम तक इनकी हाइट को मैच करने के लिए इन दोनों के लिए बड़े पैरों वाली स्पेशल कुर्सियां बनवाई गईं। ये बातें जया ने अपने एक पत्र में लिखी हैं, जो उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को लिखा है। यह पत्र चंद दिन पहले ही 5 फरवरी को लिखा गया है। इस पत्र को आईएंडबी मिनिस्टर और महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर को भी मार्क किया गया है। यह पत्र जया कुदलकर ने बड़े दुखी मन से लिखा है जिसमें उन्होंने अपने पति के मरणोपरांत उन्हें सम्मान और पहचान देने की बात कही है, ताकि उनकी और प्यारेलाल की जोड़ी फिर से एक हो सके।

बॉलीवुड को दीं कई ब्लॉकबस्टर फिल्में
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में 1960 के दशक से अपनी पहचान बनाने लगी। इनका जादू लंबे समय तक इंडस्ट्री पर छाया रहा। 1998 में लक्ष्मीकांत के निधन के बाद से ही इनकी जोड़ी टूट गई। देखा जाए, तो 500 से ज्यादा फिल्मों के लिए ये जोड़ी साथ में काम कर चुकी है। हिंदी सिनेमा को इन्होंने बड़ी से बड़ी चार्टबस्टर्स दी हैं। इन्होंने ‘दाग’, ‘दोस्ती’,‘हम पांच’ और ‘तेजाब’ जैसी फिल्में बाॅलीवुड को दी हैं।

बिना ‘एल’ के पी ‘नहीं’
ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या प्यारेलाल बिना लक्ष्मीकांत के हो सकते हैं। एक को पद्म भूषण देना और दूसरे को छोड़ देना क्या ये ठीक है? ये दोनों पर्सनल और प्रफेशनल लाइफ में एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकते। म्यूजिकल जोड़ी के तौर पर हिंदी सिनेमा में एल-पी यानी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को साथ में ही देखा गया। इन्हें कभी एक-दूसरे से अलग करके देखने के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं है।

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