हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने एक बार फिर बिहार में शराबबंदी के गुजरात मॉडल को लागू करने की मांग की। मांझी शराबबंदी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं।
गुजरात मॉडल को लागू करने के लिए विचार करें CM नीतीश
मांझी ने शुक्रवार को कहा कि शराबबंदी की अवधारणा की जड़ें महात्मा गांधी की जन्मस्थली गुजरात में है इसलिए बिहार में शराबबंदी के गुजरात मॉडल को अपनाना बिल्कुल उचित होगा। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी में कई खामियां हैं और गरीब इसके सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि गरीब तबके के लोग अगर दो ढाई सौ मिली लीटर शराब पीकर पकड़े जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई होती है लेकिन दूसरी तरफ 10 बजे रात के बाद जो बड़े बड़े अधिकारी हैं चाहे वे न्यायिक सेवा के हों, सिविल के हों या पुलिस के अधिकारी हों इसके साथ ही साथ विधायक और सांसद अपने परिवार के साथ शराब पीते हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं होता है। ऐसी स्थिति में बिहार में गुजरात का शराबबंदी मॉडल बहुत कारगर हो सकता है। गुजरात में परमीट के आधार पर लोग जरूरत के मुताबिक शराब लेते हैं, उसी तरह की व्यवस्था बिहार में भी लागू होनी चाहिए। मुख्यमंत्री को इसपर विचार करना चाहिए और हो सके तो गुजरात मॉडल को लागू करना चाहिए।
शराबबंदी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं मांझी
बता दें कि नीतीश कुमार की सरकार ने साल 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया था। सभी दलों ने शराबबंदी कानून का समर्थन किया था लेकिन समय बीतने के साथ ही शराबबंदी कानून वापस लेने या उसमें छूट देने की मांग उठने लगी। इसी के चलते पूर्व सीएम और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी शराबबंदी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं। महागठबंधन की सरकार में रहते हुए मांझी शराबबंदी में छूट की मांग करते रहे। सरकार में रहते हुए जीतन राम मांझी ने आरोप लगाया था कि शराबबंदी कानून की आड में गरीबों को जेल भेजा जा रहा है। मांझी ने गुजरात की तर्ज पर बिहार में शराबबंदी कानून में छूट देने की मांग की थी। अब जब राज्य में फिर से एनडीए की सरकार बन गई है मांझी ने अपनी पुरानी मांग को फिर से उठा दिया है।