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डीपफेक: मोबाइल पर खेल-खेल में युवा कर रहे कानून से खिलवाड़

खेल-खेल में तकनीक का गलत इस्तेमाल कर डीपफेक वीडियो बनाकर नए उम्र के युवा व किशोर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट मानते हैं कि जिले में अब तक जितने भी मामले सामने आए हैं, उसमें खेल-खेल में वीडियो बनाकर शेयर किया जाता है और फिर यह वायरल हो जाता है।                         

पकड़े जाने पर युवा- किशोर गलती मानते हैं, मां-बाप उम्र और करिअर की दुहाई देकर सिफारिश करते हैं। कई मामलों में शिकायत करने वाले पीछे हट जाते हैं तो कई मामलों में केस दर्ज होने की वजह से पुलिस को कार्रवाई करनी ही होती है। इसे रोकने के लिए पाबंदी तो बहुत लगाई गई है, लेकिन आज भी पांच तरह के एप गोरखपुर में इस्तेमाल हो रहे हैं, जिससे घटनाएं सामने आ रही हैं।                       

इससे बचने का एक मात्र तरीका है कि अगर बच्चा इंटरनेट व मोबाइल का इस्तेमाल करता है तो उसकी गतिविधियों पर ध्यान दें। वरना केस में फंसा तो करिअर चौपट होता तय है।                  

ताजा मामला शाहपुर थाने में सामने आया है। एक शिक्षिका का अश्लील वीडियो बनाकर वायरल किया गया था। साइबर एक्सपर्ट ने जांच की तो पता चला कि उसी स्कूल के नौवीं के छात्र ने ऐसी हरकत की है। पुलिस कानूनी कार्रवाई कर रही है, लेकिन इस तरह के मामले तेजी से बढ़े हैं।                      

साइबर एक्सपर्ट उपेंद्र सिंह बताते हैं कि इस एप का गलत इस्तेमाल छात्र कर रहे हैं। कई जगहों से मामले सामने आए हैं, जिसमें पुलिस ने कार्रवाई भी की है। पकड़े जाने पर वह गलती से होना बताते हैं, लेकिन इस एप की जरूरत के बारे में पूछने पर खामोश हो जाते हैं। इससे बचने के लिए मां-बाप को जागरूक होने की जरूरत है।            

क्या होता है डीपफेक

किसी रियल वीडियो में दूसरे के चेहरे को फिट कर देने को डीपफेक नाम दिया गया है, जिससे लोग यकीन कर लें। डीपफेक से वीडियो और फोटो को बनाया जाता है। इसमें मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जाता है। इसमें वीडियो और ऑडियो को टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया जाता है। इसी डीपफेक से वीडियो बनाया जाता है। साधारण शब्दों में समझें, तो इस टेक्नोलॉजी में कोडर और डिकोडर टेक्नोलॉजी की मदद ली जाती है।            

डिकोडर सबसे पहले किसी इंसान के चेहरे को हावभाव और बनावट की गहन जांच करता है। इसके बाद किसी फर्जी फेस पर इसे लगाया जाता है, जिससे हूबहू फर्जी वीडियो और फोटो को बनाया जा सकता है। हालांकि इसे बनाने में काफी टेक्नोलॉजी की जरूरत होती है, ऐसे में आम लोग डीपफेक वीडियो नहीं बना सकते। लेकि, इन दिनों डीपफेक बनाने से जुड़े एप मार्केट में मौजूद हैं, जिनकी मदद से आसानी से डीपफेक वीडियो को बनाया जा सकता है।               

ऐसे कर सकते हैं पहचान

इस तरह के फोटो-वीडियोज को पहचानना आसान तो नहीं है लेकिन नामुमकिन भी नहीं है। इन्हें पहचानने के लिए आपको वीडियो को बहुत ही बारीकी से देखना होगा। खासतौर पर चेहरे के एक्सप्रेशन, आंखों की मूवमेंट और बॉडी स्टाइल पर ध्यान देना होगा। इसके अलावा बॉडी कलर से भी आप इन्हें पहचान सकते हैं। आमतौर पर ऐसे वीडियोज में चेहरे और बॉडी का कलर मैच नहीं करता है। इसके अलावा लिप सिंकिंग से भी इस तरह के वीडियोज की पहचान की जा सकती है। ऐसे वीडियोज को आप लोकेशन और एक्स्ट्रा ब्राइटनेस से भी पहचान सकते हैं।

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