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दिल्ली: सर्दियों में 5760 मेगावॉट हो सकती है बिजली की मांग

इस बार सर्दियों में दिल्ली में बिजली की अधिकतम मांग 5760 मेगावॉट तक पहुंच सकती है। बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड इलाके में बिजली की मांग 2400 मेगवॉट और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड क्षेत्र में 1200 मेगावॉट के आंकड़े को छू सकती है। पिछले साल ठंड के महीने में राजधानी में बिजली की अधिकतम मांग 5526 मेगावॉट पहुंची थी। बीआरपीएल क्षेत्र में बिजली की मांग 2338 मेगावॉट थी, जबकि बीवाईपीएल इलाके में मांग 1181 मेगावॉट थी।                  

सर्दियों में अपने लगभग दो करोड़ बिजली उपभोक्ताओं (जिनमें करीब 50 लाख रजिस्टर्ड ग्राहक) को बेहतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बीएसईएस ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। पारंपरिक पावर प्लांटों को लॉन्ग टर्म आधार पर किए गए बिजली खरीद समझौतों के तहत बीएसईएस को पर्याप्त बिजली मिलेगी। बीएसईएस को 2000 मेगावॉट से अधिक ग्रीन पावर यानी हरित बिजली भी उपलब्ध होगी। इसमें सेकी (सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) से मिलने वाली 840 मेगावॉट सौर ऊर्जा शामिल है। इसके अलावा, 540 मेगावॉट हाइड्रो पावर, 500 मेगावॉट विंड एनर्जी और करीब 40 मेगावॉट कचरे से बनने वाली बिजली भी बीएसईएस को मिलेगी। बीएसईएस क्षेत्र में लगे रूफटॉप सोलर पावर प्लांटों से भी 150 मेगावॉट से अधिक बिजली मिलेगी। इस बार ठंड के महीनों में बीएसईएस अपने उपभोक्ताओं की कुल बिजली जरूरतों का 60 प्रतिशत हिस्सा ग्रीन एनर्जी से पूरा करेगी।                                     

अत्याधुनिक तकनीकों की बदौलत बीएसईएस अब बिजली की मांग का लगभग सटीक अनुमान लगा सकती है। इसके लिए, लोड फोरकास्टिंग सिस्टम के अलावा मॉडलिंग तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है। उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में ये तकनीक काफी मददगार साबित होंगी। लोड फोरकास्टिंग सिस्टम की मदद से बीएसईएस अब तीन स्तरों पर बिजली की मांग का करीब सटीक अनुमान लगा पाने में सक्षम है। कल बिजली की क्या मांग रहने वाली है, इसका पता लगाया जा सकता है। यह भी जाना जा सकता है कि कल बिजली की क्या डिमांड होगी।                            

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ले रहे मदद

बिजली की मांग का सटीक अनुमान लगाने के लिए बीएसईएस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की भी मदद ले रही है। इन तकनीकों के इस्तेमाल से बिजली की मांग का लगभग सटीक अनुमान लगाकर उपभोक्ताओं को बिजली की सुचारु आपूर्ति करने में मदद मिलेगी। दिल्ली में बिजली की डिमांड के उतार-चढ़ाव में मौसम की बड़ी भुमिका होती है, इसलिए बिजली की मांग का अनुमान लगाते वक्त वेदर फोरकास्टिंग तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे यह पता चलता है कि कल का मौसम कैसा रहेगा, बारिश होगी या नहीं, तापमान गिरेगा या बढ़ेगा, हवा की गति कैसी रहेगी।

गर्मियों की तैयारी अभी से शुरू की

बीएसईएस ने सर्दियों में बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के अलावा, अभी से ही गर्मियों की तैयारियां भी शुरू कर दी है। इसके लिए पावर बैंकिंग मॉड्यूल का उपयोग किया जा रहा है। बीएसईएस सर्दियों में कुछ ठंडे प्रदेशों को बिजली देगी और बदले में वे ठंडे प्रदेश गर्मियों में बीएसईएस को बिजली वापस करेंगे, जिसका फायदा उपभोक्ताओं को गर्मियों में मिलेगा।

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