मध्य प्रदेश में लंपी वायरस के बढ़ते मामलों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि लंपी वायरस से बचाव के उपायों की जानकारी पशुपालकों को ग्राम सभा में बुलाए जाए और उनको जरूरी निर्देश दिए जाए। साथ ही प्रदेश की सभी गौ शालाओ में टीकाकरण के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में पशुओं को लंपी वायरस से बचाने के लिए पशुओं को मुफ्त टीका लगाया जाएगा।
सरकारी आकड़ो के अनुसार प्रदेश के आधे जिलों में लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं के मामले सामने आए है। प्रदेश में 26 जिलों में 7686 पशु लंपी वायरस से संक्रमित पाए गए है। और अब 100 से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है। प्रदेश के इंदौर,रतलाम, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, बैतूल, धार, बुरहानपुर, झाबुआ और खण्डवा में लंपी वायरस चपेट में बड़ी संख्या में मवेशी आए है।
बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पड़ोसी राज्यों में जिस तरह गाय और बाकी पशुओं की मृत्यु हुई वह दृश्य हमने देखे हैं और किसी भी कीमत पर हमें उस स्थिति को पैदा नहीं होने देना है। यह एक तरीके से पशुओं में कोविड जैसा ही है कई चीजों से यह फैलता है मक्खी से, मच्छरों से, आपस में मिलने से, साथ रहने से, यह फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लंपी वायरस का मामला बहुत गंभीर है और इसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। जैसे हम कोविड के खिलाफ लड़े थे वैसे ही पशुओं का जीवन बचाने के लिए हम इस लंपी वायरस से लड़ेंगे।
वहीं प्रदेश में लंपी वायरस के बढ़ते मामलों के बाद सरकार ने पशुपालों के टोल फ्री नंबर जारी किए है। पशुपालक टोल फ्री नंबर-1962 और भोपाल में राज्य स्तरीय रोग नियंत्रण कक्ष के दूरभाष क्रमांक 0755-2767583 पर बीमारी से संबंध में अधिक जानकारी ले सकते हैं।
बता दें कि लंपी वायरस के बढ़ते मामलों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संक्रमित पशुओं के आवागमन को तत्काल प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए। गुजरात और राजस्थान की सीमा से लगे जिलों में धारा 144 लागू कर पशुओं का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया है।
दरअसल लंपी स्किन बीमारी गौ वंशीय और भैंस वंशीय पशुओं में वायरस से होती है। संक्रमित पशु को हल्का और तेज बुखार आना, मुंह से अत्यधिक लार तथा आंखों एवं नाक से पानी बहना, भूख न लगना, त्वचा पर गठाने और मुंह में छाले आना इसके प्रमुख लक्षण है। संक्रमित पशुओं के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 02 से 05 सेंटीमीटर आकार की गठानें बन जाना भी एक प्रमुख लक्षण है।