नई दिल्ली। ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी ने छात्रों से एक अजीबोगरीब सवाल पूछा है। विश्वविद्यालय की आंतरिक परीक्षा में यह सवाल पूछा गया। सवाल कुछ इस तरह है, “क्या आप हिंदू राइट विंग (हिंदुत्व), फासिज्म और नासिज्म में समानता पाते हैं? तर्क के साथ समझाइए।”
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यह सवाल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पॉलिटिकल साइंस ने मिड टर्म एग्जामिनेशन के दौरान बीए पॉलिटिकल साइंस के छात्र-छात्राओं से पूछा है। अब इसे लेकर विवाद बढ़ गया है। जिस पर विश्वविद्यालय की ओर से जांच बैठा दी गई है।
क्या है पूरा मामला ?
ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क में स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में अंतर विभागीय परीक्षाएं चल रही हैं। इन्हें मिड टर्म एग्जामिनेशन कहा जाता है। पोलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट ने बीए के छात्र-छात्राओं से यह सवाल पूछा है। ‘पॉलिटिकल आइडियोलॉजी’ विषय प्रश्न पत्र में यह सवाल पूछा गया। प्रश्न पत्र में प्रश्न संख्या 6 पर आपत्ति है। सवाल कुछ इस तरह है, “क्या आप हिंदू राइट विंग (हिंदुत्व), फासिज्म और नासिज्म में समानता पाते हैं? तर्क के साथ समझाइए।”
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अब यह मामला सार्वजनिक हो गया है। सोशल मीडिया पर हिंदूवादी संगठन और समर्थक विश्वविद्यालय का विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि शारदा विश्वविद्यालय हिंदी विरोधी मानसिकता का प्रचार प्रसार कर रही है। हिंदुत्व को नाजीवाद और फासीवाद जैसा बताकर छात्रों गलत शिक्षा दी जा रही है।
“यह पढ़ाया गया तभी तो सवाल पूछा”
इस मामले में विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि शारदा यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में हिंदुत्व को नाजीवाद और फासीवाद की तरह पढ़ाया जा रहा है। यही वजह है कि परीक्षा में इस तरह का प्रश्न छात्र-छात्राओं से पूछा गया है। विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम की जांच होनी चाहिए। इस पर शिक्षा मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार को और केंद्र सरकार को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।
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शारदा विश्वविद्यालय के पोलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के सारे पाठ्यक्रमों की जांच की जानी चाहिए। यह गलती नहीं बल्कि अपराध है। शारदा यूनिवर्सिटी के शिक्षक और मैनेजमेंट हिंदुत्व विचारधारा के विरोधी हैं। विश्वविद्यालय का नाम शारदा है और हिंदुत्व की खिलाफत की जा रही है। इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
यूनिवर्सिटी ने मामले में जांच बैठाई
शारदा यूनिवर्सिटी ने इस पूरे मामले को लेकर जांच बैठा दी है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अजीत सिंह ने कहा, “पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के बीए पाठ्यक्रम की आंतरिक परीक्षा में यह सवाल पूछा गया है। पॉलीटिकल आईडियोलॉजी सब्जेक्ट के प्रश्न पत्र में यह प्रश्न शामिल था। जिस पर आपत्ति हुई है। इसका विश्वविद्यालय प्रशासन ने संज्ञान लिया है। यह सवाल किस तरह प्रश्न पत्र में शामिल हुआ और क्यों शामिल किया गया? इसकी जांच करने के लिए 3 सदस्यों की एक समिति बना दी गई है।
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यह उच्च स्तरीय समिति है। जिसमें विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति को भी शामिल किया गया है। जल्दी ही रिपोर्ट आ जाएगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।” रजिस्ट्रार ने आगे कहा, “मैं पूरी तरह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि विश्वविद्यालय में किसी भी तरह किसी विचारधारा का विरोध नहीं किया जा रहा है। छात्र-छात्राओं को ऐसा कोई पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाया जा रहा है।