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हिंदू विरोधी सवाल पूछे जाने पर बड़ा एक्शन : शारदा यूनिवर्सिटी ने फैकल्टी को किया सस्पेंड, माफी भी मांगी

लखनऊ। दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय फिर एक बार विवादों में फसता हुआ नजर आ रहा है. विश्वविद्यालय में चल रहे मिड सेमेस्टर परीक्षा के दौरान बीए पॉलिटिकल साइंस के प्रश्न पत्र को लेकर बवाल शुरु हो गया है. जोकि इस वक्त सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.

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प्रश्न पत्र में पूछे गये एक सवाल को लेकर ये कहा जा रहा है कि, 5 मई 2022 को हुई परीक्षा के दौरान छात्रों से फासीवाद और हिंदुत्व के बीच समानताएं लिखने को कहा गया था.

प्रश्नपत्र बनाने वाली फैकल्टी सस्पेंड

खबर लिखे जाने तक इस मामले में नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी के प्रश्न पत्र में हिंदूवादियों की तुलना फासीवादी और नाजीवादी से करने पर उठे विरोध के बाद बड़ा एक्शन हुआ है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्रश्नपत्र बनाने वाली फैकल्टी को सस्पेंड कर दिया है।

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प्रश्नपत्र के लिए लोगों से माफी भी मांगी

शारदा यूनिवर्सिटी ने यह एक्शन 6 मई 2022 (शुक्रवार) को लिया। साथ ही विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट ने उस प्रश्नपत्र के लिए लोगों से माफ़ी भी माँगी है। हालाँकि प्रश्नपत्र बनाने वाले का नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।

अपने ट्वीट में यूनिवर्सिटी ने आगे कहा कि, विश्वविद्यालय प्रशासन हर उस लाइन से कोई इत्तेफाक नहीं रखती जो किसी भी राष्ट्रीय पहचान या संस्कृति के विरोध में हो। हम भारत के सच्चे और स्वर्णिम रूप को दिखाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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इस विवादित पेपर के पांचवें नंबर पर सवाल किया गया था कि धर्मान्तरण के मूल कारण क्या हैं? वहीं, छठे नंबर पर पूछा गया था – ”क्या आपको नाजीवादी, फासीवादी और हिंदुत्व में कोई समानता दिखती है?” प्रश्न पत्र में दोनों सवालों को विस्तार से बताने के लिए कहा गया था।

कैसे शुरु हुआ विवाद

विश्वविद्यालय में इस वक्त सत्र 2021-22 की मिड सेमेस्टर परीक्षा चल रही है, इस दौरान बीते गुरुवार को प्रश्न पत्र में पूछे गए एक सवाल को लेकर छात्रों ने हंगामा शुरु कर दिया.

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उसके बाद देखते ही देखते मामला सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर तक पहुच गया. ऐसे में लोगों ने मामले को आड़े हाथों लेते हुए #BanShardaUniversity ट्रेंड कराना शुरु कर दिया.

मुस्लिम शिक्षक के बनाया प्रश्न पत्र

बीजेपी नेता विकास प्रीतम सिंह ने इस मामले को उठाते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘शारदा विश्वविद्यालय’ का कृत्य देखिए कि परीक्षा में छात्रों को ‘हिन्दुत्व’ को अनिवार्य रूप से फासीवाद और नाजीवाद के समकक्ष सिद्ध करने के लिए कहा जा रहा है. यह प्रश्न पत्र कथित रूप से किसी मुस्लिम शिक्षक द्वारा बनाया गया है.

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