नई दिल्ली। कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब के राज्यपाल बी एल पुरोहित से मुलाकात की है. इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस की ओर से राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता जताई. इसके साथ ही कांग्रेस ने राज्यपाल से पंजाब और दिल्ली सरकार के बीच हुए नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट को रद्द करने की मांग की है.
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प्रतिनिधिमंडल में पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा शामिल थे. प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को दो ज्ञापन सौंपे. वडिंग और बाजवा ने कहा, राज्यपाल ने उनसे कहा है कि वह सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करते, लेकिन संविधान उल्लंघन की स्थिति में वह आवश्यक कदम उठाएंगे.
सरकार समय पर कार्रवाई करने में विफल रही
कानून और व्यवस्था पर सौंपे गए ज्ञापन में पिछले सप्ताह पटियाला में कथित खालिस्तान विरोधी मार्च को लेकर दो समूहों के बीच झड़प का उल्लेख किया गया. ज्ञापन में कहा गया है कि, अग्रिम खुफिया जानकारी होने के बावजूद, सरकार समय पर कार्रवाई करने में विफल रही.
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कानून के गलत इस्तेमाल का लगाया आरोप
ज्ञापन में कहा गया है कि यह प्रशासन की विफलता है. उसमें कहा गया है कि पटियाला की सड़कों पर पूरी तरह से अराजकता फैला दी गई. पार्टी ने बयान जारी कर कहा, कुछ पुलिस अधिकारियों के तबादले बहुत कम हैं और बहुत देर से उठाया गया कदम है. इसके अलावा यह सरकार का चेहरा बचाने के लिए सिर्फ ढकोसला था.
विपक्षी दलों ने लगाया आरोप
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी आरोप लगाया कि राजनीतिक विरोधियों के साथ व्यक्तिगत हिसाब चुकता करने के लिए पुलिस का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसमें कहा गया है, ”कवि डॉ कुमार विश्वास और प्रमुख कांग्रेस नेता अलका लांबा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करना इस बात का उदाहरण है कि, किस तरह से पुलिस का दुरुपयोग व्यक्तिगत हिसाब चुकता करने के लिए किया जा रहा है.
कांग्रेस ने ज्ञापन में आरोप लगाया कि हत्या, लूट और डकैती आज के समय में आम बात हो गई है. अपराधी खुला घूम रहे हैं और उन्हें कानून का कोई डर नहीं है. दिल्ली और राज्य के बीच 26 अप्रैल को साइन हुए नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट पर ज्ञापन में कहा गया है कि यह समझौता पूरी तरह से अवैध और शुरू से ही अमान्य है.