नई दिल्ली। जंग की मार झेल रहे यूक्रेन से भारतीयों को वापस लाने की कवायद लगातार जारी है. इस दौरान यूक्रेन में फंसे भारतीयों ही नहीं पाकिस्तान और तुर्की के नागरिकों के लिए भी तिरंगा ढाल बन गया. न्यूज एजेंसी एएनआई ने इसकी जानकारी दी है.
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पाकिस्तानी और तुर्की के छात्रों की भी मदद
यूक्रेन से रोमानिया के बुचारेस्ट शहर आए भारतीय छात्रों ने कहा कि, कई चेकपॉइंट्स से सुरक्षित निकलने में तिरंगे ने न सिर्फ उनकी बल्कि पाकिस्तानी और तुर्की के छात्रों की भी मदद की.
भारतीय छात्रों को यूक्रेन से बाहर निकाला जा रहा
ऑपरेशन गंगा के तहत भारतीय छात्रों को यूक्रेन से बाहर निकाला जा रहा है. इन छात्रों के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देश रोमानिया के शहर से विशेष फ्लाइट्स उड़ाई जा रही हैं. इस काम में एयर इंडिया, स्पाइसजेट और इंडिगो के विमान लगे हुए हैं.
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साउथ यूक्रेन के ओडेशा से आए एक मेडिकल स्टूडेंट ने कहा, हमसे यूक्रेन में कहा गया था कि भारतीय होने के नाते और तिरंगा रखने से हमें कोई तकलीफ नहीं होगी.’ इन छात्रों ने यह भी बताया कि कैसे वह मार्केट से स्प्रे पेंट लाए ताकि भारतीय झंडा बनाया जा सके.
पाक-तुर्की के छात्रों ने तिरंगे के जरिए चेक पॉइंट्स को पार किया
एक छात्र ने बताया, मैं भागकर मार्केट गया और एक कर्टेन और कलर स्प्रे पेंट लाया. तब मैंने कर्टेन को काटा और उस पर स्प्रे पेंट से तिरंगा बनाया. उन्होंने यह भी बताया कि, कुछ पाकिस्तानी और तुर्की के छात्रों ने भी तिरंगे का इस्तेमाल करके चेक पॉइंट्स को पार किया. ओडेसा से छात्र रोमानिया के मोलोडोवा आए थे.
एक छात्र ने बताया कि, हमने ओडेसा से एक बस की और मोलोडोवा बॉर्डर आ गए. मोलोडोवा के नागरिक बहुत अच्छे थे. उन्होंने हमें मुफ्त में आवास और टैक्स व बस मुहैया कराई ताकि हम रोमानिया आ सकें. आगे उन्होंने बताया कि, उन्हें मोलोडोवा में ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि भारतीय दूतावास ने पहले से ही अरेंजमेंट किए हुए थे.
छात्रों ने भारतीय दूतावास का जताया आभार
छात्रों ने भारतीय दूतावास का आभार जताया, जिसने उनके लिए खाना और शरण का इंतजाम किया था. अन्य छात्र ने कहा, जब कोई छात्र यहां आता है तो पहले उसे उचित आवास और खाना मुहैया कराया जाता है.
इसके बाद रजिस्ट्रेशन होता है और फिर तारीख तय होती है कि उन्हें कब वहां से भारत भेजा जाएगा. इससे पहले सोमवार को भारत सरकार ने चार कैबिनेट मेंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा था ताकि छात्रों की निकासी जल्द से जल्द कराई जा सके.