कोलकाता। स्कूल सर्विस कमीशन नियुक्ति घोटाले में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के मंत्रियों का नाम आने के बाद राज्य में सियासी घमासान एक बार फिर से शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एसएससी नियुक्ति घोटाले पर मचे बवाल को लेकर पूर्व की सरकार पर हमला किया.
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ममता बनर्जी ने कहा कि, लेफ्ट के शासनकाल में सरकारी नौकरियों में नियुक्ति की प्रक्रिया के समय काफी गड़बड़ी होती थी. हम उनके शासनकाल के दौरान बरती गई सभी अनियमतियों को जल्द उजागर करेंगे. सीएम ममता बनर्जी ने इस मामले को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा, लेकिन बीजेपी केंद्रीय एजेसिंयों का गलत इस्तेमाल कर रही है.
शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली करने का आरोप
बंगाल के स्कूल सेवा आयोग के माध्यम से ग्रुप डी, ग्रुप सी और कक्षा नौ और 10वीं के शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली करने का आरोप ममता बनर्जी सरकार के दो मंत्रियों पर लगा है. जिसे लेकर पश्चिम बंगाल में विपक्षी दल बीजेपनी ने ममता सरकार पर निशाना साधा. मामले की निष्पक्ष जांच के लिए और दोषियों को सजा देने के लिए शिकायत दी गई. जिसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में एक अहम फैसला सुनाया.
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इस मामले में ममता सरकार के दो अहम मंत्री बुरी तरह से फंसते दिख रहे हैं. हाई कोर्ट ने ममता सरकार में उद्योग व संसदीय कार्यमंत्री व पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी को सीबीआइ के समक्ष हाजिर होने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट के इस निर्देश के बाद दोनों मंत्रियों पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक गई है. हालांकि दोनों मंत्रियों ने सीबीआइ के समक्ष हाजिर होने से बचने के लिए हाई कोर्ट में एक याचिका भी दी कोर्ट ने उन्हें कोई राहत देने से इंकार कर दिया.
खंडपीठ ने इस भर्ती को बताया सार्वजनिक घोटाला
दरअसल ये पूरा मामला स्कूल सेवा आयोग की 2016 के पैनल में शिक्षण, गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति में धांधली से जुड़ा हुआ है. जस्टिस सुब्रत तालुकदार और जस्टिस एके मुखर्जी की खंडपीठ ने इस भर्ती को सार्वजनिक घोटाला करार दिया. साथ ही खंडपीठ ने एकल पीठ के जज अभिजीत गांगुली के फैसला को सही ठहराया और उनके आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.
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बता दें कि एकल पीठ ने इन नियुक्तियों में हुई धांधली की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा था. जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने दो जजों की खंडपीठ में याचिका दायर की थी. अब खंडपीठ ने भी एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखते हुए नियुक्ति में हुई धांधली की जांच सीबीआइ से ही कराने का निर्देश दे दिया.