असम पुलिस ने हाल ही में प्रतिबंधित संगठन यूएलएफए द्वारा ग्रेनेड फेंककर हमला करने के मामले को सुलझाने का दावा किया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में उन्होंने आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है। पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी।
उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, ‘हफ्ते भर चलने वाले अभियान के तहत, तिनसुकिया, शिवसागर और जोरहाट में प्रतिबंधित संगठन यूएलएफए द्वारा ग्रेनेड फेंककर हमला करने के मामले में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। साथ ही हमले के लिए इस्तेमाल किए मोटरसाइकिल भी बरामद कर लिया है।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘सोशल मीडिया के माध्यम से इन लोगों को उकसाने वाले आरोपियों की भी पहचान कर ली गई है और अब वे जहां भी छिपे हो उन्हें वहां से निकालकर सजा दी जाएगी। उचित समय पर अदालत के समक्ष सबूत पेश किया जाएगा।’
दो आरोपी को किया गया गिरफ्तार
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि जोरहाट में एक आर्मी कैंप के पास ग्रेनेड फेंकने के मामले में दो लोगों को डिब्रूगढ़ के मोरान और जोरहाट के टिटाबोर से गिरफ्तार किया गया है। इस अपराध के लिए इस्तेमाल किए गए मोटरसाइकिल को भी जब्त कर लिया गया है। दोनों की पहचान अच्युत गोगोई और बिराज काचरी के तौर पर की गई है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर की जांच के आदेश दिए, जबकि डीजीपी ने आईजीपी को इस मामले की जांच के निर्देष दिए हैं।
ग्रेनेड हमले के बाद यूएलएफए ने ली थी जिम्मेदारी
तिनसुकिया, शिवसागर और जोरहाट में हुए ग्रेनेड हमलों की जिम्मेदारी यूएलएफए ने ली है। संगठन ने कहा कि यह हमले डीजीपी सिंह के अहंकार के जवाब में किया गया है। इसका पलटवार करते हुए डीजीपी ने कहा, ‘वे हमेशा नाम ही लेते हैं। अगर उन्हें मुझसे दिक्कत है तो वह हमेशा ही मुझे निशाना बनाएंगे। मैं काहिलीपारा में रहता हूं और मेरा दफ्तर उलुबारी में है। वे वहां आकर मुझे निशाना बना सकते हैं। वे क्यों आम लोगों को निशाना बना रहे हैं।’
विस्फोटों के बाद असम में विशेषकर ऊपरी असम के जिलों में अभियान तेज किया गया। इस दौरान कई गिरफ्तारियां भी की गई। हिरासत से भागने की कोशिश करने पर पुलिस ने गोलीबारी भी की, जिसमें पांच घायल भी हुए।