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आम आदमी पार्टी कई मौकों पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आई..

विपक्षी एकता की चर्चा के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यादेश के खिलाफ मुहिम कमजोर पड़ती नजर आ रही है। खबर है कि पहले शीर्ष न्यायालय के फैसले का समर्थन कर चुकी कांग्रेस अब केजरीवाल के पक्ष में बात करने से बच रही है। कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश इकाइयों और समान विचारधारा वाले दलों से बात कर अध्यादेश के मामले पर कोई फैसला लिया जाएगा। सोमवार रात कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस ने अध्यादेश के मामले में कोई भी फैसला नहीं लिया है। पार्टी पहले अपनी प्रदेश इकाइयों और समान विचारधारा वाले दूसरे दलों से चर्चा करेगी। पार्टी कानून में भरोसा करती है…।’ उन्होंने कहा कि साथ ही कांग्रेस किसी भी राजनीतिक दलों की तरफ से किसी अन्य पार्टी के खिलाफ झूठ पर आधारित अभियान और टकराव का भी समर्थन नहीं करती है। कांग्रेस और आप के रिश्ते खास बात है कि आम आदमी पार्टी कई मौकों पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आई है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने तो यह भी दावा कर दिया था कि कांग्रेस अब खत्म हो चुकी है। वहीं, कांग्रेस में भी नेता आप के समर्थन को लेकर एक सुर नहीं बोलते हैं। अजय माकन और संदीप दीक्षित जैसे नेता आप का साथ देने के खिलाफ बात कर चुके हैं। दिल्ली सीएम आवास में करोड़ों रुपये के खर्च के मुद्दे पर माकन ने केजरीवाल सरकार से कई सवाल पूछे थे। नीतीश कुमार ने दिया आप को समर्थन 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार लगातार विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। ताजा बैठक उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता राहुल गांधी के साथ की थी। वह अध्यादेश के मुद्दे पर केजरीवाल का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने विपक्ष से भी साथ आने की अपील की है। इधर, कांग्रेस एक-दो दिनों में विपक्षी एकता से जुड़ी बैठक को लेकर बड़ा ऐलान कर सकती है। आप को कांग्रेस की जरूरत क्यों खास बात है कि राज्यसभा में अध्यादेश पास कराने के लिए एनडीए के पास भी राज्यसभा में बहुमत नहीं है। 110 सदस्यों वाली एनडीए को वाईएसआर कांग्रेस और बीजद की मदद की जरूरत पड़ेगी। वहीं, केजरीवाल के लिए भी 31 राज्यसभा सदस्यों वाली कांग्रेस का समर्थन काफी अहम है। यहां आप सांसदों की संख्या 10 पर है। सदन का गणित समझें तो विपक्षी दलों में टीएमसी (12), डीएमके (10), टीआरएस (7), राजद (6), सीपीएम (5), जदयू (5), टीडीपी (1), एनसीपी (4), सपा (3), शिवसेना (यूबीटी, 3), सीपीआई (2), जेएमएम (2) हैं। AGP, IUML, JDS, केरल कांग्रेस, मरुमलारची डीएमके, रालोद, तमिल मनीला कांग्रेस (मूनपार) के सदन में एक एक सदस्य हैं। आप की कोशिश आप सांसद संजय सिंह का कहना है, ‘यह अग्निपरीक्षा का समय है…। कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह लोकतंत्र, भारतीय संघीय ढांचे के साथ खड़ी है या उसके खिलाफ खड़ी है।’ इधर, केजरीवाल खुद सभी गैर भाजपा शासित राज्यों में जाकर समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके साथ राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा भी होंगे।

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