Monday , November 4 2024

सुप्रीम कोर्ट ने मनी लान्ड्रिंग एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनाया फैसला…

Money Laundering- सुप्रीम कोर्ट में प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन आफ मनी लान्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है और ईसीआईआर प्रवर्तन निदेशालय का एक आंतरिक दस्तावेज है। आरोपी को ईसीआईआर की आपूर्ति अनिवार्य नहीं है और गिरफ्तारी के दौरान कारणों का खुलासा करना ही काफी है।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में दो शर्तों को रखा बरकरार

अदालत ने पीएमएलए अधिनियम की धारा 45 में जमानत के लिए दो शर्तों को भी बरकरार रखा और कहा कि निकेश थरचंद शाह मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी संसद 2018 में उक्त प्रावधान में संशोधन करने के लिए सक्षम थी। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बताई गई खामियों को दूर करने के लिए संसद वर्तमान स्वरूप में धारा 45 में संशोधन करने के लिए सक्षम है।

कोर्ट ने कहा- गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं

कोर्ट ने यह भी माना कि ईडी अधिकारी ‘पुलिस अधिकारी’ नहीं हैं और इसलिए अधिनियम की धारा 50 के तहत उनके द्वारा दर्ज किए गए बयान संविधान के अनुच्छेद 20 (3) से प्रभावित नहीं हैं, जो आत्म-अपराध के खिलाफ मौलिक अधिकार की गारंटी देता है। कोर्ट ने आगे कहा कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है और यह केवल ईडी का एक आंतरिक दस्तावेज है। इसलिए, एफआईआर से संबंधित सीआरपीसी प्रावधान ईसीआईआर पर लागू नहीं होंगे। ईसीआईआर की आपूर्ति अनिवार्य नहीं है। हालांकि जब व्यक्ति विशेष कोर्ट के समक्ष होता है, तो यह देखने के लिए रिकार्ड मांग सकता है कि क्या निरंतर कारावास आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश रखा था सुरक्षित

15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला लगभग तैयार है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था। जिन्होंने ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है, उनमें कार्ति चिदंबरम और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने जांच शुरू करने और समन शुरू करने की प्रक्रिया की अनुपस्थिति सहित कई मुद्दों को उठाया था।
jagran

महबूबा मुफ्ती ने दी चुनौती

महबूबा मुफ्ती ने धारा 50 के संवैधानिक अधिकार और धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के प्रावधान को चुनौती दी थी। पीएमएलए की धारा 50 ‘प्राधिकरण’ यानी प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को किसी भी व्यक्ति को सबूत देने या पेश करने के लिए बुलाने का अधिकार देती है। समन किए गए सभी व्यक्ति उनसे पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने और ईडी अधिकारियों द्वारा आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए बाध्य हैं। ऐसा न करने पर उन्हें पीएमएलए के तहत दंडित किया जा सकता है।

केंद्र सरकार ने किया PMLA में संशोधनों का बचाव

हालांकि, केंद्र ने पीएमएलए के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को सही ठहराया था। केंद्र ने PMLA में संशोधनों का बचाव किया था और कहा कि मनी लान्ड्रिंग न केवल वित्तीय प्रणालियों के लिए बल्कि राष्ट्रों की अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा है। क्योंकि मनी लान्ड्रिंग न केवल विजय माल्या या नीरव मोदी जैसे भ्रष्ट व्यापारियों द्वारा बल्कि आतंकवादी समूहों द्वारा भी की जाती है। इस मुद्दे पर कुल मिलाकर 242 अपीलें दायर की गई हैं। ईडी की जांच के दायरे में आने वाले प्रमुख नामों में कांग्रेस की सोनिया गांधी शामिल हैं, जिनसे मंगलवार को पूछताछ की गई थी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और तृणमूल कांग्रेस के पार्थ चटर्जी भी शामिल हैं।

Check Also

अयोध्या के लिए हेलीकॉप्टर सेवा के रूट-किराया तय, बुकिंग के लिए ये नियम लागू

Helicopter Service: रामनगरी में राम के दर्शन करना अब आसान होने जा रहा है। बाबा विश्वनाथ …