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महाशिवरात्रि पर्व : शुभ योग के बीच चार पहर होगी शिव जी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

लखनऊ। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 01 मार्च यानी आज है। इस बार महाशिवरात्रि पर पंच ग्रहों के योग का महासंयोग और दो महाशुभ योग बन रहे हैं।

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साथ ही अबकी बार केदार योग और गुरु आदित्य योग भी बन रहा है। आज महाशिवरात्रि और 2 मार्च को अमावस्या तक विशेष पूजन अनुष्ठान होंगे।

महाशिवरात्रि पर बेहद दुर्लभ संयोग

ज्योतिषों के अनुसार, महाशिवरात्रि पर इस बार दुर्लभ संयोग रहेगा। इस बार महाशिवरात्रि पर पंच ग्रहों के योग का महासंयोग है। 2 महाशुभ योग बन रहे हैं। मंगलवार को मकर राशि में शुक्र, मंगल, बुध, चंद्र, शनि के संयोग के साथ ही केदार योग और गुरु आदित्य योग का संयोग बन रहा है।

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यह योग पूजा, उपासना के लिए विशेष कल्याणकारी है। इस योग में महादेव का पूजन-अर्चन श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत फलदायी होगा। इस दिन व्रत, पूजन के साथ जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और रुद्राभिषेक आदि अनुष्ठान विधि-विधान से किया जाएगा।

2 मार्च की रात 1 बजे तक चतुर्दशी

शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि 1 मार्च की सुबह 3:16 मिनट से 2 मार्च की सुबह 1 बजे तक रहेगी। शिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिधि नामक योग बन रहा है। और इस योग के बाद शतभिषा नक्षत्र शुरू हो जाएगा। वहीं, परिधि योग के बाद से शिव योग शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही शिव पूजन के समय केदार योग रहेगा।

चारों पहर में होगी भगवान शिव की पूजा

महाशिवरात्रि को लेकर हर जगह तैयारियां शुरू हो गई हैं और इस दिन भगवान शिव की चारों पहर पूजा की जाएगी। मान्यता है कि ऐसा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है।

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  • महाशिवरात्रि पर पहले पहर की पूजा मंगलवार को शाम 6:21 से 9:27 तक
  • दूसरे पहर की पूजा रात्रि 9:27 से 12:33 तक
  • तीसरे पहर की पूजा बुधवार को रात्रि 12:33 से सुबह 3:39 तक
  • चौथे पहर की पूजा सुबह 3:39 से 6:45 तक होगी।
  • व्रत का समापन का समय बुधवार को सुबह 6:45 बजे तक रहेगा।

महाशिवरात्रि का महत्व जानिए

शास्त्रों में बताया गया है कि, महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी दुखों और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है। देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव ने माता पार्वती से विवाह किया था।

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साथ ही यह भी मान्यता है कि, महाशिवरात्रि के दिन ही शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। शिवजी का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। इसलिए इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

महाशिवरात्रि पूजन विधि

फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि में से एक मानी जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें।

इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें। फिर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें। साथ ही पजून करें और अंत में आरती करें।

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