आरएसएस प्रमुख मोहन भागतव ने धर्मान्तरण को लेकर बड़ी बात कही है। झारखंड में एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखिया ने कहा कि हमारा धर्म किसी की पूजा पद्धति बदलने में यकीन नहीं रखता, बल्कि हम सबको अच्छा मनुष्य बनाने वाले लोग हैं। श्री भागवत ने इशारों इशारों में धर्म परिवर्तन करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि विश्व गुरु भारत के निर्माण के लिए हम सभी को मिलकर साथ चलना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया उसी को पीटती है जो दुर्बल है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि दुर्बलता ही पाप है। बलशाली का मतलब है संगठित होना। अकेला व्यक्ति बलशाली नहीं हो सकता है। कलयुग में संगठन ही शक्ति मानी जाती है। हम सभी को साथ लेकर चलेंगे, हमें किसी को बदलने की आवश्यकता नहीं है।
छत्तीसगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम में श्री भागवत ने कहा कि हम सत्य को जानने वाले ऋषियों के वंशज है। हमारा धर्म बिना किसी की पूजा बदले, बिना किसी की प्रांत भाषा बदले अच्छा मनुष्य बनाता है। हम संपूर्ण दुनिया को अपना परिवार मानने वाले लोग हैं। हमको सारी दुनिया को उस सत्य को देना है अपने व्यवहार से। हम फिर से देश-विदेश जाएंगे सारी दुनिया में जाएंगे और तबतक अगर विज्ञान कहता है कि हम चंद्रमा पर जाएंगे, मंगल पर जाएंगे तो उनके पीछे-पीछे हम वहां भी जाएंगे।” उन्होंने कहा, “और सबका खोया हुआ व्यवहार का संतुलन वापस देने वाला धर्म यही है, जो पर्यावरण के साथ ठीक रहना सिखाता है, जो पंथ-पूजा की, जात-पात की, देश की, भाषाओं की विविधता होने के बाद भी मिलजुलकर रहना सिखाता है।”
संघ प्रमुख ने आगे कहा, “जो बिना किसी की पूजा बदले, बिना किसी की प्रांत-भाषा बदले उसको अच्छा मनुष्य बनाता है, जो सबको अपना मानता है किसी को पराया नहीं मानता, यहां तक कि उसको न मानने वाले को वो पराया नहीं मानता, ऐसा जो हमारा धर्म है, जिसको आजकल लोग हिंदू धर्म कहते हैं हमको सारी दुनिया में देना है। मतांतरण नहीं करना है। ये तरीका सिखाना है, ये तरीका पूजा का तरीका नहीं है, ये जीने का तरीका है। सारी दुनिया को उसको देने के लिए हमारा जन्म भारतवर्ष में हुआ है। हम उन पूर्वजों के वंशज हैं।”
मुंगेली जिले से होकर बहने वाली शिवनाथ नदी में स्थित मदकू द्वीप में 16 नवंबर से 19 नवंबर तक घोष शिविर का आयोजन किया गया था। इसके समापन के अवसर पर घोष प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें RSS प्रमुख ने हिस्सा लिया था। उन्होंने इस अवसर पर कहा, “सत्यमेव जयते नानृतम्। सत्य की ही जीत होती है, असत्य की नहीं। झूठ कितनी भी कोशिश कर लेकिन झूठ कभी विजयी नहीं होता है।”