नई दिल्ली। बीजेपी और कांग्रेस सहित आठ राजनीतिक दलों के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाया है, जिन्होंने अपने उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक केसों का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया.
इन राजनैतिक दलों पर 1-1 लाख का जुर्माना
बता दें कि, बिहार चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड मीडिया में प्रकाशित न करने के मामला पर सुप्रीम कोर्ट ने 8 पार्टियों को अपने आदेश का पालन न करने के लिए अवमानना का दोषी माना. कोर्ट ने जेडीयू, आरजेडी, एलजेपी, कांग्रेस, बीजेपी, सीपीआई पर 1-1 लाख का जुर्माना किया है. इसके अलावा, सीपीएम और NCP पर 5-5 लाख का जुर्माना लगाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी दिया ये आदेश
भविष्य के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि, राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट पर प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड डालें. चुनाव आयोग ऐप बनाए, जहां मतदाता ऐसी जानकारी देख सके. इसके साथ ही, पार्टी प्रत्याशी चुनने के 48 घंटे के भीतर आपराधिक रिकॉर्ड मीडिया में प्रकाशित करे. आदेश का पालन न होने पर आयोग सुप्रीम कोर्ट को सूचित करे.
MP/MLA के मुकदमे आसानी से वापस नहीं लेगी सरकार
जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक केस राज्य सरकारें अब मनमाने तरीके से वापस नहीं ले सकेगीं. सुप्रीम कोर्ट ने आज यह आदेश दिया कि, कोई भी राज्य सरकार वर्तमान या पूर्व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक केस बिना हाई कोर्ट की मंजूरी के वापस नहीं ले सकती.
लंबित मुकदमों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिए निर्देश
सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों के तेज निपटारे से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है. 2016 से लंबित इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से तमाम लंबित मुकदमों का ब्यौरा मांगा था. साथ ही केंद्र सरकार से कहा था कि, वह हर राज्य में विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट बनाने के लिए फंड जारी करे.
कोर्ट ने सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाए
इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में मामले की सुनवाई हुई थी. तब से लेलर अब तक केंद्र ने कोर्ट के सवालों पर विस्तृत जवाब दाखिल नहीं किया है. चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई. कोर्ट ने सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाए.