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आयुष्मान आरोग्य मन्दिर बदहाल, मरीज बेहाल – स्वास्थ्य व्यवस्था रामभरोसे

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत उन दावों की पोल खोल रही है। कुशीनगर जिले के हाटा विकास खंड के डुमरी स्वागीपट्टी गांव स्थित आयुष्मान आरोग्य मन्दिर बदहाली की हालत में है। यह स्वास्थ्य केंद्र लोगों को नजदीक से इलाज उपलब्ध कराने के मकसद से खोला गया था, लेकिन यहां की स्थिति इतनी खराब है कि मरीजों को इलाज के लिए मजबूरी में दूर-दराज का रुख करना पड़ रहा है।

जर्जर भवन और टूटा गेट

गांव का यह स्वास्थ्य केंद्र अब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। भवन की हालत इतनी जर्जर है कि किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है। गेट टूटा हुआ है, कमरे खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। न तो साफ-सफाई की व्यवस्था है और न ही बुनियादी सुविधाएं। ग्रामीण बताते हैं कि यहां मरीजों की देखभाल तो दूर, प्राथमिक जांच और दवाइयां तक समय पर उपलब्ध नहीं हो पातीं।

डॉक्टर और स्टाफ नहीं आते नियमित

स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉक्टर और कर्मचारी नियमित रूप से ड्यूटी पर नहीं आते। जब मरीज इलाज के लिए आते हैं तो उन्हें खाली लौटना पड़ता है। यही नहीं, लोग आरोप लगाते हैं कि मरम्मत और रखरखाव के लिए जो पैसा आता है, वह ज़िम्मेदार अधिकारी बिना काम कराए ही खर्च दिखा देते हैं।

इलाज के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना मजबूरी

इस केंद्र की लापरवाही का सीधा खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें इलाज के लिए 10 किलोमीटर दूर हाटा जाना पड़ता है। वहीं गंभीर मरीजों को निजी क्लीनिक और बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है। निजी अस्पतालों का खर्च इतना अधिक है कि गरीब तबके के सामने इलाज कराना गंभीर संकट बन जाता है।

ग्रामीणों में आक्रोश

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की मंशा तो सही है लेकिन ज़िम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से गांव का स्वास्थ्य केंद्र बेकार साबित हो रहा है। ग्रामीणों ने सरकार से तत्काल कार्रवाई कर इस स्वास्थ्य केंद्र की हालत सुधारने और डॉक्टर-कर्मचारियों की नियमित तैनाती सुनिश्चित करने की मांग की है।

क्या कहते हैं ज़िम्मेदार?

  • डॉ. अमित कुमार, सीएचसी प्रभारी हाटा
    “हमारी टीम स्थिति पर नजर रख रही है। जल्द ही मरम्मत और स्टाफ की समस्या को दूर किया जाएगा।”

  • ग्राम प्रधान सतीश गुप्ता
    “स्वास्थ्य केंद्र की जर्जर स्थिति को लेकर कई बार उच्च अधिकारियों से शिकायत की गई है। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”

  • ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
    “इलाज के लिए हमें मजबूरी में दूर जाना पड़ता है। गरीब लोग प्राइवेट अस्पताल का खर्च नहीं उठा पाते, जिससे बड़ी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।”

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