प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत रखरखाव (भरण पोषण) का भुगतान आदेश की तिथि से किया जाएगा न कि, आवेदन की तिथि से। सीआरपीसी की धारा 125 की तुलना मोटर दुर्घटना दावा से नहीं की जा सकती है।
दो याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर उसे खारिज किया
मोटर दुर्घटना दावा अधिनियम के अंतर्गत याची को दावे का भुगतान आवेदन की तिथि से दिया जा सकता है, लेकिन सीआरपीसी की धारा 125 में यह व्यवस्था नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश त्रिपाठी ने प्रतिमा सिंह की दो याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर उसे खारिज करते हुए दिया है।
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याची ने परिवार न्यायालय मिर्जापुर के 18 अप्रैल 2016 के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक साथ दो याचिका दाखिलकर दो मांग की थी। पहला, परिवार न्यायालय द्वारा रखरखाव के लिए निर्धारित किए गए दो हजार रुपये की राशि को कम बताते हुए उसे आठ हजार रुपये किए जाने और दूसरा, रखरखाव का भुगतान आवेदन की तिथि से किया जाए। याची ने परिवार न्यायालय के समक्ष 24 मार्च 2010 से ही आवेदन किया था।
परिवार न्यायालय ने 18 अप्रैल 2016 को आदेश पारित कर याची को उसके पति से प्रतिमाह दो हजार रुपये रखरखाव का भुगतान करने का आदेश दिया था। परिवार न्यायालय ने यह भुगतान आदेश की तिथि से करने के लिए किया था। याची के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि परिवार न्यायालय मिर्जापुर ने मामले में तथ्यों और साक्ष्यों को नजरअंदाज कर एकतरफा फैसला दिया।
दो हजार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश
याची का तर्क था कि, उसका पति जो कि इस मामले में प्रतिवादी है, वह दिल्ली में रहकर एक प्राइवेट जाब कर रहा है और उसे हर महीने 15 हजार रुपये कमा रहा है। लिहाजा, उसे रखरखाव के लिए आठ हजार रुपये प्रतिमाह दे। लेकिन, कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि प्रतिवादी की आय इतनी नहीं है। इसलिए निचली अदालत ने उसकी प्रतिमाह आय छह हजार रुपये मानकर याची को रखरखाव के लिए दो हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था।
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कोर्ट ने कहा कि, याची प्रतिवादी की मासिक आय 15 हजार रुपये होने की बात को सिद्ध नहीं कर सकी। प्रतिवादी के अधिवक्ता ने रजनीश बनाम नेहा व अन्य और कुर्वान अंसारी उर्फ कुर्वान अली बनाम श्याम किशोर मर्मु व अन्य केस का हवाला देते हुए बताया कि रखरखाव का भुगतान आदेश की तिथि से किए जाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया है। कोर्ट ने तमाम तथ्यों को देखते हुए याची की दोनों याचिका को खारिज कर दिया और रखरखाव का भुगतान आदेश की तिथि से करने का आदेश दिया।