सिद्धपीठ श्री सिद्धबली महोत्सव के आखिरी दिन गढ़वाली जागर गाए गए। इस दौरान डौंर-थाली की थाप पर विभिन्न देवी-देवताओं के जागरों से सिद्धों का डांडा गुंजायमान रहा। श्रद्धालुओं ने सिद्धबाबा के जयकारे लगाए। इस दौरान भैरों और नरसिंह देवता के पश्वा जलते अंगारों पर नाचे और अंगारों को चबाने लगे। …
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