One Nation One Election Bill: ‘एक देश एक चुनाव’ पर बुधवार को जेपीसी की पहली बैठक हुई। विपक्ष ने इस बिल का जमकर विरोध किया। विपक्ष ने कहा कि यह बिल संविधान के खिलाफ है। इसे लागू नहीं किया जा सकता।
One Nation One Election: ‘एक देश-एक चुनाव’ पर बुधवार को पहली संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक हुई। मीटिंग की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी के सांसद पीपी चौधरी ने की। इस दौरान लॉ मिनिस्ट्री ने लगभग 18 हजार पेज की प्रेजेंटेशन दी। विपक्ष ने बिल का विरोध किया। प्रेजेंटेशन के बाद विपक्षी सांसदों ने अपनी राय रखी। समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने इस बिल को संविधान की भावना के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि सरकार क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की साजिश रच रही है। तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी ने पूछा कि खर्चा कम करना जरूरी है या लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करना जरूरी है।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और मुकुल वासनिक ने भी बिल का विरोध करते हुए इसको संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के खिलाफ बताया। जेपीसी की बैठक में सबसे पहले कानून और विधि मंत्रालय की ओर से वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर प्रेजेंटेशन दी गई। उसके बाद पहले भाजपा फिर कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस समेत सभी दलों के नेताओं ने एक-एक कर अपनी राय दी।
दो सदस्य नहीं आए मीटिंग में
प्रियंका गांधी ने एक देश एक चुनाव को लेकर सरकार की दलीलों पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या इससे चुनाव में खर्च कम होगा? ऐसा आप कैसे कह सकते हैं? बीजेपी ने कहा कि अलग-अलग समय पर अलग-अलग राज्यों में चुनाव होने से खर्च बेतहाशा होता है। इसके अलावा विकास की गति पर भी प्रभाव पड़ता है। जेपीसी की अगली बैठक कल होगी।
बता दें कि बिल को शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने पेश किया था। जिसे अब 39 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) के सामने रखा गया है। समिति की पहली बैठक में 37 सांसद मौजूद रहे। मीटिंग में बीजेपी के सांसद सीएम रमेश और एलजेपी की सांसद शांभवी चौधरी व्यक्तिगत कारणों के चलते शामिल नहीं हो पाईं।
इस समिति में सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल किए गए हैं। कांग्रेस से प्रियंका गांधी वाड्रा, जदयू से संजय झा, शिवसेना शिंदे गुट से श्रीकांत शिंदे, आप से संजय सिंह और टीएमसी से कल्याण बनर्जी के अलावा अन्य शामिल हैं। बैठक में पहले दिन बिल के प्रावधानों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर मंथन किया गया। पूर्व में की गई सिफारिशों को भी समिति के सामने रखा गया।