हिमंत बिस्व सरमा ने ये भी कहा कि ‘असम में किसी शरणार्थी को बसाने के लिए जगह ही नहीं है। न ही चकमा या हाजोंग समुदाय से किसी ने मुझसे या सरकार से इस मुद्दे पर मुलाकात की है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के उस दावे से इनकार कर दिया है कि उनकी चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को लेकर केंद्र सरकार से बात हुई है। दरअसल किरेन रिजिजू ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में अपने एक संबोधन में कहा था कि अरुणाचल में रह रहे चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को सीएए कानून के तहत असम में बसाया जाएगा और इसके लिए केंद्र सरकार से बात हो गई है। हालांकि असम सीएम ने ऐसी कोई बात होने से इनकार किया है।
असम सीएम ने केंद्रीय मंत्री के दावे को नकारा
असम सीएम ने कहा कि ‘मुझे नहीं पता कि रिजिजू ने क्या कहा, लेकिन भारत सरकार ने अभी तक हमारे साथ इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की है। रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश के राजनीतिक हालात के संदर्भ में कुछ कहा होगा।’ हिमंत बिस्व सरमा ने ये भी कहा कि ‘असम में किसी शरणार्थी को बसाने के लिए जगह ही नहीं है। न ही चकमा या हाजोंग समुदाय से किसी ने मुझसे या सरकार से इस मुद्दे पर मुलाकात की है। चुनाव के बाद में किरेन रिजिजू से इस मुद्दे पर बात करूंगा।’ सीएम सरमा ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में रह रहे 6-7 हजार अरमिया लोगों को असम सरकार स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी करेगी।
किरेन रिजिजू ने कही थी शरणार्थियों को असम में बसाने की बात
किरेन रिजिजू अरुणाचल प्रदेश की लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। रिजिजू ने बीते हफ्ते ईटानगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि सीएए एक बड़ा आशीर्वाद है और इसकी मदद से राज्य में किसी विदेशी या शरणार्थी के लिए दरवाजे बंद हो जाएंगे। रिजिजू ने कहा कि चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को राज्य से जाने के लिए कहा जाएगा और केंद्र सरकार उन्हें बसाएगी।
रिजिजू ने ये भी कहा कि हमने इसे लेकर असम सरकार से बात की है, लेकिन अभी हम इस बारे में ज्यादा नहीं बता सकते, लेकिन हमने इस बारे में असम सरकार से बात कर ली है। रिजिजू ने ये भी कहा कि इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी बात हो गई है। चकमा समुदाय बौद्ध धर्म को मानता है और हाजोंग हिंदू हैं। ये दोनों समुदाय साल 1964 से 1966 के बीच तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान और मौजूदा बांग्लादेश से पलायन करके अरुणाचल प्रदेश आए थे। 60 हजार से ज्यादा चकमा और हाजोंग शरणार्थी अभी अरुणाचल प्रदेश में रह रहे हैं।
रिजिजू के बयान से घिरे असम सीएम
रिजिजू के बयान से असम की राजनीतिक गरमा गई है। दरअसल सीएए का विरोध कर रहे संगठनों ने रिजिजू के बयान पर सीएम हिमंत सरमा से स्पष्टीकरण मांग लिया है। रायजोर दल के नेता और विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि सीएम को साफ करना चाहिए कि क्या उन्हें केंद्र सरकार से इस संबंध में कोई निर्देश मिले हैं? और अगर रिजिजू झूठ बोल रहे हैं तो सीएम को उनसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने भी सीएए का विरोध किया। असम जातीय परिषद के महासचिव जगदीश भुयन ने आरोप लगाया कि पूरे उत्तर पूर्व में मौजूद शरणार्थियों को सीएए कानून के तहत असम में बसाया जाएगा।
सीएए कानून के तहत भारत सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक तौर पर प्रताड़ित होकर आने वाले हिंदुओं, जैन, सिखों, ईसाई, बौद्ध और पारसियों को भारत की नागरिकता देगी। इस कानून में मुस्लिमों को बाहर रखा गया है, जिसके चलते इसका विरोध हो रहा है। सीएए कानून अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड और मणिपुर पर लागू नहीं होगा क्योंकि यहां पर इनर लाइन परमिट लागू है। संविधान के छठी अनुसूची के तहत मेघालय, असम के आदिवासी बहुल इलाकों और त्रिपुरा को भी सीएए कानून से छूट दी जाएगी।