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स्वामी रामभद्राचार्य महाराज की अचानक बिगड़ी तबीयत, पहले आगरा में हुए भर्ती….

तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज को शुक्रवार रात आगरा से एयर एंबुलेंस के माध्यम से देहरादून ले जाया गया। उन्हें सीने में सिनर्जी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। पूर्व में भी उनकी इस हॉस्पिटल में उनकी देखभाल होती रही है, इसलिए शिष्यों के जोर देने पर उन्हें यहां से देहरादून शिफ्ट किया गया। पड़ोसी जिले हाथरस में रामकथा कह रहे जगदगुरु रामभद्राचार्य की शुक्रवार सुबह तबीयत बिगड़ गई थी, सीने में दर्द की शिकायत पर उनको आगरा के पुष्पांजलि हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों की टीम तुरंत उनके इलाज में जुट गई। आते ही कुछ देर के लिए उन्हें ऑक्सीजन भी दी गई, जिसे बाद में हटा लिया गया। कई जांच की गईं जिनमें उनके सीने में संक्रमण का पता चला।

एयर एंबुलेंस से देहरादून ले जाए गए जगदगुरु रामभद्राचार्य
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, डॉक्टरों ने आईसीयू में पूरी तरह अपनी निगरानी में रखा और जांच के बाद उनकी हालत को खतरे से बाहर बताया। मेडिकल ऑफिसर डॉ. राकेश शर्मा और डॉ. नवनीत शर्मा अपने सहयोगियों के साथ उपचार में जुटे रहे। जगदगुरू के शिष्यों के अनुरोध पर उन्हें देहरादून ले जाने के लिए दिल्ली में एयर एंबुलेंस का इंतजाम किया गया। रात करीब 8 बजे और एंबुलेंस आगरा पहुंची। पुष्पांजलि हॉस्पिटल की प्रबंधक एचआर माधवी सिंह राना ने बताया कि इसके तुरंत बाद करीब सवा 8 बजे उन्हें पुष्पांजलि हॉस्पिटल से एंबुलेंस द्वारा हवाई अड्डे ले जाया गया, जहां से एयर एंबुलेंस उन्हें लेकर देहरादून के लिए रवाना हो गई। एयर एंबुलेंस में चिकित्सकीय स्टाफ मौजूद था, तथापि एहतियातन पुष्पांजलि हॉस्पिटल के भी दो चिकित्सकों डा गौरव शर्मा और डॉ. पुनीत मित्तल को एयर एंबुलेंस में उनके साथ भेजा गया।

CM योगी ने रामभद्राचार्य के उत्तराधिकारी को फोन करके जाना उनका हालचाल
बताया जा रहा है कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य जितने समय पुष्पांजलि हॉस्पिटल में भर्ती रहे उनके शुभचिंतकों की भीड़ लगी रही। हॉस्पिटल स्टाफ को इस भीड़ को संभालने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामभद्राचार्य के उत्तराधिकारी को फोन करके उनका हालचाल जाना। बताया गया है कि रामभद्राचार्य महाराज की 4 साल पहले बाईपास सर्जरी हो चुकी है। पुष्पांजलि हॉस्पिटल के संचालक वीडी अग्रवाल ने बताया कि हालांकि फिलहाल खतरे की कोई बात नहीं थी लेकिन उनके शिष्यों का कहना था कि महाराज का पहले भी देहरादून के सिनर्जी हॉस्पिटल में इलाज हो चुका है इसलिए वे उन्हें वहीं ले जाना चाहते हैं। उनके अनुरोध पर ही देहरादून ले जाने का निर्णय लिया गया।

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