प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिका में मांगी गई मुख्य राहत विधायी निर्देश की प्रकृति में अधिक है। पीठ जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे ने कहा कि यद्यपि याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत है, लेकिन यह स्पष्ट है कि वास्तविक उद्देश्य याचिकाकर्ता के खिलाफ लंबित कार्यवाही में जमानत मांगना है।
उच्चतम न्यायालय ने क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार और माइनिंग के नियमन के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिये केन्द्र और अन्य को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल या आभासी मुद्राएं हैं जो केंद्रीय बैंक से नहीं बल्कि स्वतंत्र रूप से संचालित होती हैं।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिका में मांगी गई मुख्य राहत विधायी निर्देश की प्रकृति में अधिक है। पीठ जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे ने कहा कि यद्यपि याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत है, लेकिन यह स्पष्ट है कि ”वास्तविक उद्देश्य याचिकाकर्ता के खिलाफ लंबित कार्यवाही में जमानत मांगना है।”
उन्होंने कहा, “हम इस कार्रवाई को स्वीकार करने में असमर्थ हैं। याचिकाकर्ता को नियमित जमानत देने के लिए उचित अदालत में जाने की स्वतंत्रता होगी। जहां तक मुख्य राहतों का सवाल है, वे एक विधायी निर्देश की प्रकृति में हैं जो अदालत संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत जारी नहीं कर सकती है।”