नारायण मूर्ति के युवाओं को 70 घंटे काम करने करने का सुझाव देने के एक सप्ताह बाद एक और तकनीकी दिग्गज एडोबी के सीईओ शांतनु नारायण ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
एडोबी के अध्यक्ष और सीईओ ने मंगलवार को उस्मानिया विश्वविद्यालय में छात्रों के एक समूह को संबोधित करते हुए युवाओं से अपील की कि वे वैसा ही करें जो उनके लिए बेहतर हो। इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ टीवी मोहनदास पई द्वारा आयोजित पॉडकास्ट में मूर्ति ने कहा था कि अगर देश के युवा हफ्ते में 70 घंटे की शिफ्ट में काम करें तो भारत आगे बढ़ सकता है और प्रगति कर सकता है, जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और जापान में हुआ था।
शांतनु नारायण ने कहा, “मैं कड़ी मेहनत करता हूं क्योंकि मैं जो करता हूं उससे प्यार करता हूं और चीजों को पूरा करना चाहता हूं। मेरे करियर में कई बार ऐसा समय आता है जब मैं कुछ करना चाहता हूं ऐसे में आप पागलों की तरह काम करते हैं। साथ ही, एडोब में ऐसे लोग हैं जो मेरे साथ काम करते हैं और वे समय निकालना चाहते हैं और मैं उनका समर्थन करता हूं।
मंगलवार को उस्मानिया दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाले पद्मश्री पुरस्कार विजेता ने इस बात पर भी जोर दिया कि पेशेवरों को वह करना चाहिए जो वे चाहते हैं। अगर आप जो करते हैं उसे पसंद नहीं करते हैं तो आप केवल खुद को दोषी मानते हैं।
हैदराबाद में जन्मे कॉरपोरेट लीडर ने विश्वविद्यालय में अपने समय को याद करते हुए कहा कि वह बहुत अच्दे छात्र नहीं थे और इंजीनियरिंग के अपने अंतिम वर्ष में गंभीर हो गए थे। प्रतिस्पर्धा के बढ़ते दौर में नारायण ने छात्रों से कहा कि वे ‘दीर्घकालिक नजरिए’ को ध्यान में रखें और स्वीकार करें कि वे हर चीज में शीर्ष पर नहीं रहेंगे। उन्होंने इसके लिए विराट कोहली का उदाहरण देते हुए कहा कि वे भी कभी-कभी डक पर आउट हो जाते हैं पर ये मायने नहीं रखता। बता दें कि मौजूदा आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ विराट कोहली शून्य पर आउट हो गए थे।
इससे पहले आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने 70 घंटे काम के मसले पर नारायणमूर्ति के विचारों से असहमति जताई थी। उन्होंने कहा था हफ्ते में पांच दिन काम करने का चलन भी अब समाप्ति की ओर है। अब काम के घंटों से किसी भी उत्पादकता का अंदात नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर अपने विचार साझा किए थे।