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नवरात्री 2023: काशी पुराधिपति के आंगन में पहली बार राम करेंगे शक्ति की आराधना

नागरी नाटक मंडली में 2013 में शुरू हुआ राम की शक्ति पूजा का सफर अपने 93वें पड़ाव पर श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचेगा। शंकराचार्य के चौक के मुक्ताकाशीय मंच पर पहली बार किसी नाटक का मंचन होने जा रहा है|

बनारस सभ्यताओं और संस्कृतियों का संगम है। इस बार महासप्तमी यानी 21 अक्तूबर की शाम वैष्णव, शैव और शाक्त तीनों भक्ति धाराएं बाबा के धाम में एकाकार होंगी। महादेव के आंगन में भगवान राम शक्ति की देवी दुर्गा की आराधना करेंगे। श्री काशी विश्वनाथ धाम में पहली बार राम की शक्ति पूजा का मंचन होगा।

नागरी नाटक मंडली में 2013 में शुरू हुआ राम की शक्ति पूजा का सफर अपने 93वें पड़ाव पर श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचेगा। शंकराचार्य के चौक के मुक्ताकाशीय मंच पर पहली बार किसी नाटक का मंचन होने जा रहा है। यह संयोग की बात है कि शिव के आराध्य राम की शक्ति पूजा से इसका श्रीगणेश होगा।

बनारस की मशहूर संस्था रूपवाणी के नाटक राम की शक्ति पूजा में भगवान राम अत्याचारी रावण को पराजित करने के लिए शक्ति की आराधना करते हैं। शक्ति भी भगवान की परीक्षा लेती हैं। राम परीक्षा में सफल होते हैं और शक्ति विजय का आशीर्वाद देकर उन्हीं में लय हो जाती हैं। इसके पहले शक्तिपूजा का मंचन संकटमोचन शताब्दी संगीत समारोह में भी हो चुका है।

दस सालों से प्रवाहमान है राम की शक्ति पूजा

बनारस के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब कोई नाटक प्रदर्शनों का शतक लगाने जा रहा है। राम की शक्तिपूजा का पहला प्रदर्शन पांच फरवरी 2013 को नागरी नाटक मंडली प्रेक्षागृह में हुआ था। यह प्रस्तुति पिछले दस वर्षों से जीवित, सक्रिय और प्रवाहमान है। प्रस्तुति का नाट्यालेख स्व. डॉ. शकुंतला शुक्ल ने तैयार किया था। प्रस्तुति का संगीत पूरी तौर पर बनारस घराने के शास्त्रीय संगीत में निबद्ध है। 2012 में डॉ. शकुंतला शुक्ल, व्योमेश शुक्ल, जेपी शर्मा और डॉ. आशीष मिश्र के समूह ने कई महीनों की कड़ी मेहनत से इसे संभव किया था। जेपी शर्मा और आशीष मिश्र संगीत निर्देशक हैं। भारत के प्रायः सभी प्रमुख नाट्य समारोहों, उत्सवों और कला-केंद्रों में इसका मंचन हो चुका है।

मिल चुका है सम्मान

राम की शक्तिपूजा के निर्देशक व्योमेश शुक्ल को 2017 में निर्देशन के लिए और राम की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री स्वाति को 2021 में केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी का उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार दिया गया है।

लड़कियां निभाती हैं राम और लक्ष्मण की भूमिका

राम की शक्ति पूजा में पहले मंचन से ही राम और लक्ष्मण की भूमिका लड़कियां ही निभाती हैं। असल में यह प्रयोग बनारस की रामलीलाओं की ‘काउंटर पॉलिटिक्स’ है, जहां सदियों से सीता की भूमिका लड़के ही करते आ रहे हैं। इस नाटक में बनारस की सदियों पुरानी रामलीलाओं के बहुत से तत्वों का प्रयोग किया गया है।

संसार का है सबसे बड़ा सम्मान

गौरव, अभिनंदन और चुनौती का क्षण है क्योंकि विश्वनाथ मंदिर आस्था का केंद्र तो है ही, बनारस की सदियों पुरानी सभ्यता और संस्कृति का नाभिक भी है। अपनी नाट्य प्रस्तुति के साथ वहां पहुंचना हमारे लिए संसार का सबसे बड़ा सम्मान है। – व्योमेश शुक्ला, अध्यक्ष, रूपवाणी|

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