चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि जरूरी है कि राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग से जुड़े इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजा जाए। इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 30 अक्टूबर की तारीख तय की है।
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के चंदे से संबंधित चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 30 अक्टूबर की तारीख तय की है। वही, कोर्ट ने इस मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है।
राजनीतिक दलों को 12,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया: याचिकाकर्ता
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि जरूरी है कि राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग से जुड़े इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजा जाए।
बता दें कि जनहित याचिका याचिकाकर्ताओं में से एक ने मार्च में कहा था कि चुनावी बांड के माध्यम से अब तक राजनीतिक दलों को 12,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और दो-तिहाई राशि एक प्रमुख राजनीतिक दल को गई है।
लोकसभा चुनाव से पहले इस योजना की न्यायिक परीक्षण जरूरी: प्रशांत भूषण
कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि 2024 के आम चुनाव के लिए यह योजना शुरू होने से पहले इसका न्यायिक परीक्षण जरूरी है।
गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से पेश प्रशांत भूषण ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड के जरिये अज्ञात स्रोतों से होने वाली फंडिंग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है और भ्रष्टाचार मुक्त देश में रहने के नागरिकों के अधिकार का हनन कर रही है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।