ग्रहण के समय सूक्ष्म कीटाणुओं की संख्या में वृद्धि होने के कारण, जानें?
हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या पड़ती है। इस वर्ष 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या है। इस दिन सूर्य ग्रहण भी पड़ने वाला है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार सूर्य ग्रहों में राजा ग्रह माना गया है। सूर्य के ताप से रोग, विकार नष्ट हो जाते हैं।
सूर्य की परिक्रमा सभी ग्रह कर रहे हैं और चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। ऐसे में जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है। तब सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नही पहुंच पाती। इस कारण ग्रहण का निर्माण होता है। ग्रहण के समय रोग, विकार आदि चीजों की संभावनी बढ़ जाती है। सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते है: पूर्ण, आंशिक और वलयाकार सूर्य ग्रहण। भारत में यह सूर्य ग्रहण नहीं दिखेगा। यह सूर्य ग्रहण अमेरिका, मलेशिया, कंबोडिया, जापान,चीन, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण प्रशांत महासागर और दक्षिण हिंद महासागर में दिखाई देगा। एक वर्ष में कम से कम दो सूर्यग्रहण होते ही हैं और अधिकतम एक वर्ष में पांच सूर्य ग्रहण हो सकते हैं।
वर्ष 2023 में पहला सूर्य ग्रहण बृहस्पतिवार, 20 अप्रैल के दिन है
समय प्रातः 07 बजकर 04 मिनट से प्रारम्भ होकर दिन के 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा।
ग्रहण के समय सूक्ष्म कीटाणुओं की संख्या में वृद्धि होने के कारण:
-भोजन नहीं करना चाहिए।
-ग्रहण के समय तुलसी के पत्ते भोजन, पानी के पात्र में डाल कर रखना चाहिए।
-भोजन को ढक कर रखना चाहिए।
-ग्रहण के बाद तुरंत नहाना चाहिए।
-ग्रहण के समय मन की शक्ति कम हो जाती है। इसलिए कोई भी जरूरी निर्णय नहीं लेने चाहिए।
-स्त्री पुरुष को सहवास नही करना चाहिए।
-ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर रहना चाहिए। ऐसा न करने से शिशु के अंगहीन होने की संभावना प्रबल हो जाती है। सलाह दी जाती है की उदर भाग में गोबर, मिट्टी या तुलसी का लेप लगा कर रखें।
भगवान का भजन कीर्तन, गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए।