प्रत्येक मास के चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश को समर्पित चतुर्थी व्रत रखा जाता है। आज द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जा रहा है। शास्त्रों में बताया गया है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन करने से कई प्रकार के दोष और बाधाएं दूर हो जाती हैं और भक्तों को सुख-शांति का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद किया जाता है। इसलिए व्रत पारण से पहले भक्तों को श्री गणेश स्तोत्र और आरती का पाठ जरूर करना चाहिए।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती (माता पार्वती के मंत्र), पिता महादेवा ।।
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।