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जानें अपने पार्टी विधायकों को व्हिप जारी करते हुए कांग्रेस ने क्या कुछ कहा…

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपने विधायकों को व्हिप जारी किया है। पार्टी विधायकों को व्हिप जारी करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि सभी विधायक विधानसभा में 19 दिसंबर से लेकर 23 दिसंबर तक मौजूद रहे ताकि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो सके। मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हुआ है। कांग्रेस पार्टी इस सत्र के दौरान शिवराज सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने इससे पहले रविवार को कहा था कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर सर्वसम्मति से फैसला लिया गया था।
सोमवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने वरिष्ठ विधायकों के साथ विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को 51 बिंदुओं का आऱोप पत्र सौंपा था। इस अविश्वास प्रस्ताव में महंगाई, बेरोजगारी, भर्ती और निर्माण कार्यों में हुई गड़बड़ी को अहम मुद्दा बनाया गया था। नेता प्रतिपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग की थी। इन सभी 51 बिंदुओं को अविश्वास प्रस्ताव के आरोप पत्र में शामिल किया गया है। कांग्रेस ने जो आरोप पत्र तैयार किया है उसमें जहरीली शराब से होने वाली मौतें, रोजगार, स्कूली बच्चों की ड्रेस खरीद में भ्रष्टाचार, रेत माफियाओं का आंतक, स्कूलों की दुर्दशा, भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी, विश्वविद्यालयों की गिरती साख, सरकारी कॉलेजों में रिक्त पद, भ्रष्टाचार और घोटाले की जांच समेत कई अहम बातों का जिक्र है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए समय मांगा है। इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर शिवराज सरकार के प्रवक्ता और राज्य के गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार इसपर चर्चा के लिए तैयार है। उनकी तरफ से कहा गया है कि जो भी तारीख विधानसभा अध्यक्ष तय करेंगे उस तारीख को चर्चा करने के लिए सरकार तैयार है। बता दें कि इससे पहले साल 2011 में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। 28 नवंबर 2011 से लेकर 29 नवंबर 2011 तक 4 दिनों तक 25 घंटे 24 मिनट तक अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। क्या होता है व्हिप कोई भी पार्टी अपने सदस्यों को मैंडेट जारी करती है और पार्टी विधायकों को इसे मानना होता है। सदस्य पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध हैं और उन्हें उसके अनुसार ही मत देना होता है। हालांकि, अगर कोई विधायक पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसकी विधायकी नहीं जाती है। विधायक पर दल-बदल कानून के उल्लंघन के तहत कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है। हालांकि, व्हिप का उल्लंघन करने पर पार्टी सदस्य के खिलाफ कोई फैसला अपने स्तर पर ले सकती है।  

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