चाइल्ड लेबर रोकने के लिए एक्शन मोड में श्रम विभाग, पढ़े पूरी ख़बर
उत्तराखंड में चाइल्ड लेबर रोकने के लिए श्रम विभाग अब एक्शन में आ गया है। विभाग की टीमों ने जगह जगह पर छापेमारी शुरू कर दी है। कई दुकानों और होटलों पर छापेमारी में पिछले दो दिन में चार बच्चों को रेस्क्यू किया गया। जबकि, दो व्यापारियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाया गया। विभाग की कई टीमें राजधानी देहरादून में बाल श्रम कराने वाले दुकानदारों पर पैनी नजर रखे हुए हैं। प्रदेश के बाहर से भी बच्चों को बाल श्रम करवाने के लिए उत्त्तराखंड लाया जाता है ऐसी जानकारी भी मिली है।
देहरादून जिला टास्क फोर्स ने श्रम प्रवर्तन अधिकारी अश्वनी कुमार की अगुआई में सोमवार और मंगलवार को बाल श्रम की शिकायत पर चार दुकानों पर छापेमारी की। सोमवार को नालापानी और करनपुर में दो बच्चे काम करते मिले। मंगलवार को गोविंदगढ़ कांवली में मैकेनिक और ज्वेलर्स के यहां बच्चे हेल्पर का काम करते मिले। इन बच्चों को मौके से रेस्क्यू किया गया। पुलिस को मुकदमे से जुड़ी शिकायत दी गई।
डालनवाला के इंस्पेक्टर नंद किशोर भट्ट ने बताया कि नालापानी चौक के पास स्थित लक्ष्मी जनरल स्टोर से बिजनौर के बच्चे को रेस्क्यू किया गया। इस स्टोर के मालिक रोहित कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। करनपुर में एक्सक्लूसिव शू स्टोर से नेपाल निवासी बच्चे को मुक्त कराया गया। साथ ही, शू स्टोर संचालक गिरीश वाधवा पर केस दर्ज किया गया। उधर, वसंत विहार थाना प्रभारी होशियार सिंह ने बताया कि कांवली में बाल श्रम करते दो बच्चे मिलने की शिकायत मिली। इसकी जांच की जा रही है। इस कार्रवाई में पुलिस, बचपन बचाओ आंदोलन, चाइल्ड आई, आश्रय एवं मानवाधिकार के प्रतिनिधि भी शामिल रहे।
क्या है चाइल्ड लेबर ?
1986 में बनाए गए बाल श्रम निषेध कानून के अनुसार 14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना या उन्हें मजदूरी पर रखना कानूनी अपराध है। बच्चों को मजदूरी पर रखने वाले मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। साथ ही सस्ते मजदूरों के लिए की जाने वाली तस्करी भी कानून के तहत अपराध है। चाइल्ड लाइन 1098 के जरिए बल श्रम की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।