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मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने बालू घोटालेको ले कर किया ये बड़ा दावा, कहा…

झारखंड में बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से उपजा संकट विकराल होता जा रहा है। सरकारी और निजी निर्माण कार्यों की गति बालू की कमी की वजह से धीमी पड़ गई है। यदि बालू मिल भी रहा है तो तय रेट से कहीं ज्यादा कीमत पर। बालू की कालाबाजारी तक हो रही है। शिकायतें ये भी है कि भले ही बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई हो लेकिन अवैध तरीके से बालू का खनन किया जा रहा है। हालात ऐसे भी हैं कि बालू महंगा होने की वजह से कई घरों का बजट बिगड़ गया है। अब इस मामले में विपक्षी नेता बाबूलाल मरांडी ने सवाल उठाए हैं।
झारखंड में अवैध बालू के 100 करोड़ का धंधा!  बीजेपी विधायक दल के नेता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में हर महीने 100 करोड़ रुपये से अधिक का बालू का अवैध धंधा फल-फूल रहा है। उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अवैध कमाई में हिस्सेदारी का खामियाजा राज्य की जनता भुगत रही है। उन्होंने कहा कि पीएम आवास से लेकर बड़े निर्माण कार्य ठप पड़े हैं। हालात ऐसे हैं कि मजदूरों का काम नहीं मिल रहा है। गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत से ही झारखंड में बालू का संकट है। बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से स्थिति बिगड़ती जा रही है। बालू घाटों की नीलामी को लेकर क्या बोले बाबूलाल बालू घाटों की नीलामी में देरी के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार के टालमटोल और बहानेबाजी के पीछे का सच यही है कि जब इस मोटी कमाई से सत्ताधारी और अधिकारी मालामाल हो रहे हैं तो बालू घाटों की नीलामी करके कौन अपनी करोड़ों की कमाई पर लात मारना चाहेगा। बाबूलाल मरांडी ने तंज भरे स्वर में कहा कि बालू से तेल निकालने वासी इस सरकार के भ्रष्टाचार की गाथाएं इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी। अब देखना होगा कि सत्तापक्ष की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है। बालू की कमी से धीमी पड़ी निर्माण कार्यों की रफ्तार शहर के अलग-अलग इलाकों में अपार्टमेंट्स का निर्माण करा रहे बिल्डर्स का कहना है कि वे पूरी तरह से किसी भी प्रोजेक्ट को बंद नहीं कर सकते है। काम नहीं रोक सकते। ऐसे में उन्हें दोगुनी कीमत पर भी कई बार बालू खरीदना पड़ता है।  प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य निर्माण कार्यों में भी लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बड़े सरकारी प्रोजेक्ट्स में भी काम की रफ्तार काफी धीमी है। निर्माण कार्यों के धीमा पड़ने तथा कहीं-कहीं पूरी तरह से ठप हो जाने की वजह से दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है।

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