नई दिल्ली। यूक्रेन को लेकर दुनिया की दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं, लेकिन इस समय दुनिया की नजर भारत पर भी टिकी है. पूरा विश्व जानना चाहता है कि, अगर रूस और यूक्रेन के बीच अदावत छिड़ी तो भारत किसकी तरफ होगा।
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क्योंकि ये लड़ाई यूक्रेन के नाम पर रूस और अमेरिका के बीच होगी. बारूद उगलते टैंक, मिसाइल बरसाते S-400 और समंदर को चीरते वॉरशिप, जल से लेकर ज़मीन और आसमान तक ये सबकुछ महायुद्ध की ओर इशारा कर रहे हैं.
आमने-सामने दो सुपरपावर देश रूस और अमेरिका
यूक्रेन को लेकर दो सुपरपावर देश रूस और अमेरिका आमने सामने आ चुके हैं. अमेरिकी बॉम्बर यूरोप में गश्त लगा रहे हैं. वहीं रूस ने भी हाइपरसोनिक मिसाइलें तैनात कर दी हैं. मतलब रूस और अमेरिका के बीच टेंशन हाई है.
युद्ध का काउंटडाउन शुरू है, लेकिन यहां दो सवाल अहम हैं पहला युद्ध में भारत किसका पक्ष लेगा? अमेरिका या रूस का? दूसरा सवाल ये कि अगर रूस-अमेरिका के बीच जंग होगी तो भारत पर क्या असर पड़ेगा?
दरअसल, वर्ल्ड ऑर्डर में इस वक्त भारत अच्छी पोजिशन में है. खासकर LAC पर चीन को करारा जवाब देने के बाद भारत के हौसले बुलंद हैं. हिंद की ताकत का एहसास पूरी दुनिया को हो चुका है और दोनों ही सुपरपावर अमेरिका और रूस से हिंदुस्तान के रिश्ते अच्छे हैं. जानकार बताते हैं कि, युद्ध से पहले के कूटनीतिक युद्ध में दोनों ही मुल्क मजबूत भारत को अपने पाले में करना चाहेंगे.
S-400 एयर डिफेंस डील पर भी संकट
यूक्रेन बॉर्डर पर रूस की बारूदी तैयारी ने सुपरपावर अमेरिका को चौंका दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से एक घंटे फोन पर बातचीत भी की, लेकिन प्रेसिडेंट पुतिन पीछे हटने को तैयार नहीं हुए, जिसके बाद बाइडेन ने ऐलान किया कि रूस अगर यूक्रेन पर हमला करता है तो वो मास्को के खिलाफ बेहद कड़े प्रतिबंध लगाएंगे.
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एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका अगर रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाता है तो इससे भारत की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. इतना ही नहीं S-400 एयर डिफेंस डील पर भी संकट मंडरा सकता है.
क्या है S-400 एयर डिफेंस डील ?
बता दें कि, S-400 एयरडिफेंस का एक ऐसा सिस्टम है, जिसे दुश्मनों का सबसे बड़ा संहारक और युद्ध के मैदान का महाकवच कहा जाता है. सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस S-400 की पहली खेप दिसंबर के महीने में रूस से भारत पहुंच चुकी है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की करीब 60 फ़ीसदी सैन्य आपूर्ति रूस से होती है और ये एक बेहद अहम पक्ष है. एक्सपर्ट के मुताबिक जब पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के सैनिक आमने-सामने हैं तो ऐसे में यूक्रेन के मामले में भारत रूस को नाराज़ करने का जोखिम नहीं ले सकता है.
दूसरी तरफ अमेरिका और NATO के देश हैं, जो इस वक्त यूक्रेन के साथ खड़े हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि, LAC पर चीन के साथ तनाव के बीच अमेरिका ने हमेशा भारत का साथ दिया. अमेरिका के अलावा यूरोप भी भारत के अहम साझेदार हैं.
भारत-चीन सीमा पर निगरानी रखने में भारतीय सेना को अमेरिकी पेट्रोल एयरक्राफ़्ट से मदद मिलती है. सैनिकों के लिए विंटर क्लोथिंग अमेरिका और यूरोप से आयात होता है, ऐसे में भारत न तो रूस को छोड़ सकता है और न ही पश्चिम को यानी रूस-यूक्रेन संकट भारत के लिए भी संकट बन गया है.
चरम पर पहुंच सकती है महंगाई
यहां अहम है कि, रूस तेल और गैस का एक बड़ा उत्पादक देश है. अगर युद्ध शुरू हुआ तो आने वाले दिनों में अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पेट्रोलियम और गैस के दाम तेजी से बढ़ सकते हैं. महंगाई चरम पर पहुंच सकती है और इस सबका असर भारत पर भी पड़ सकता है. इसके अलावा युद्ध के हालात में भारत के सामने एक और चुनौती से निपटने की होगी. वो ये कि, यूक्रेन से हजारों भारतीय को बाहर निकालना होगा.
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अमेरिका और रूस दोनों ही देश भारत का साथ चाहते हैं
विश्व बिरादरी में भारत की अहमियत इसलिए भी ज्यादा हो जाती है क्योंकि पीएम मोदी एक बार फिर लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं. US फर्म के मॉर्निंग कंसल्ट सर्वे के मुताबिक नरेंद्र मोदी 75% रेटिंग के साथ नंबर एक पर हैं.
इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर मैक्सिकन राष्ट्रपति आंद्रे मैनुएल लोपेज ओब्राडोर हैं, जिनकी रेटिंग 67% हैं. इसके बाद तीसरा नंबर इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी का है, जिन्हें 60% रेटिंग मिली है, जबकि अमेरिकी राषट्रपति जो बाइडेन की 41% रेटिंग के साथ पांचवें नंबर पर हैं.
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