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तीन सौ साल पुरानी मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति घर लौटी, मंदिर में दोबारा स्थापित करेंगे योगी, पीएम मोदी के प्रयासों से कनाडा से भारत लाई गई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति कनाडा सरकार ने भारत वापस भेजी है। सदियों पहले गायब हुई अन्नपूर्णा की मूर्ति काशी में एक बार फिर स्थापित होगी। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा खुद सीएम योगी आदित्यनाथ कल यानी 15 नवंबर को काशी में करेंगे। मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति विभिन्न रास्तों से होते हुए पहुंची। चुनार के बलुआ पत्‍थर से बनी मां अन्नपूर्णा की यह मूर्ति बहुत ही खास है। मूर्ति विशेषज्ञों ने इसे 18 वीं सदी का बताया है। करीब तीन सदी पुरानी होने की वजह से यह मूर्ति काफी हद तक अपनी प्रकृति खो चुकी है। हालांकि ​कनाडा की आर्ट गैलरी में इसका रखरखाव काफी बेहतर रहा है। वाराणसी में आज भी इसी काल की कई मूर्तियां हैं, जो काशी के प्रस्‍तर कला की पहचान हैं।

इस मूर्ति में मां अन्नपूर्णा के एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्‍मच है। माता का यह स्वरूप आस्था का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि मां अपने हाथों से चम्मच के खीर का प्रसाद भक्तों के बीच बांटकर उन्हें धन-धान्‍य से परिपूर्ण होने का आशीर्वाद दे रही हैं। खासकर काशी में अन्नपूर्णा माता को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां कभी कोई भूखा नहीं रहता।

गुरुवार को केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली में एक समारोह में पूरी धूमधाम के साथ यह प्रतिमा उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दी। इसके साथ ही चार दिन की अन्नपूर्णा देवी की शोभायात्रा वाराणसी के लिए शुरू हो गई है। 11 नवंबर को मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति दिल्ली से सुसज्जित वाहन से जुलुस के रूप में चली थी, जो विभिन्न शहरों से होते हुए प्रतापगढ़ जिले के रास्ते 14 नवंबर को मुंगराबादशाहपुर पहुंची। यहां दौलतिया मंदिर पर राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव, राज्यसभा सांसद सीमा द्धिवेदी, सांसद बीवी सरोज, भाजपा जिला प्रभारी राकेश त्रिवेदी, भाजपा जौनपुर जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह, विधायक रमेश चंद्र मिश्रा, डॉ हरेंद्र प्रसाद सिंह, दिनेश चौधरी पूर्व सांसद केपी सिंह, सुशील मिश्रा, अमित श्रीवास्तव, पीयूष गुप्ता, सुनील तिवारी, ब्लॉक प्रमुख सतेन्द्र सिंह आदि ने स्वागत किया। डीएम मनीष कुमार वर्मा सहित जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने

मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति को 111 ब्राह्मणों द्वारा बैदिक मंत्रोचार कर फूल वर्षा कर प्राप्त किया। इसके बाद मछलीशहर में पुष्प वर्षा कर स्वागत हुआ, उसके उपरांत सिकरारा चौराहा पर भव्य स्वागत हुआ।

 पिछले साल नवंबर में पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम के 29वें एपिसोड में इस मूर्ति के बारे में बताया था। उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि एक सदी पहले भारत से चोरी की गई देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति को कनाडा से वापस लाया जाएगा। यह मूर्ति पीएम मोदी के वर्तमान संसदीय क्षेत्र वाराणसी से साल 1913 के आसपास चोरी हुई थी और तस्करी कर कनाडा भेज दी गई थी। बहरहाल अब मूर्ति वापस भारत आ चुकी है। काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर में रानी भवानी स्थित उत्तरी गेट के बगल में प्राण प्रतिष्‍ठा कर मूर्ति दोबारा स्थापित की जाएगी। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। बता दें कि 13 दिसंब‍र को पीएम मोदी द्वारा लोकार्पण के बाद दुनिया भर के लोग काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर में देवी अन्नपूर्णा का भी दर्शन और पूजन कर सकेंगे।

बनारस शैली में उकेरी गई 18वीं सदी की यह मूर्ति कनाडा की यूनिवर्सिटी आफ रेजिना में मैकेंजी आर्ट गैलरी की शोभा बढ़ा रही थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नार्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार तैयार किया गया था। साल 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की मूर्तिकार कला विशेषज्ञ दिव्‍या मेहरा को प्रदर्शनी लगाने के लिए आमंत्रित किया गया था। यहां उन्होंने मूर्ति पर गहन अध्‍ययन किया। इसी दौरान उन्हें इस मूर्ति के भारत से कनाडा लाए जाने का पता चला।

दिव्‍या मेहरा ने पता लगाया कि गुलाम भारत में वाराणसी में गंगा किनारे क्षेत्र से 1913 के आसपास मां अन्नपूर्णा की मूर्ति चोरी हुई थी। चोरी होने के बाद तस्करों द्वारा गुपचुप तरीके से यह मूर्ति कनाडा पहुंच गई और फिर मैकेंजी आर्ट गैलरी में शोभा बढ़ाने लगी। मूर्ति पर अध्ययन करने के बाद दिव्या मेहरा ने भारतीय दूतावास को इसके बारे में सूचित किया। मूर्ति का इतिहास सामने आने के बाद कनाडा सरकार ने इसे भारत सरकार को शिष्‍टाचार भेंट के तौर पर लौटाने की पेशकश की। अब यह मूर्ति नई दिल्‍ली राष्‍ट्रीय संग्रहालय होते हुए वाराणसी पहुंच रही है।

ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यतों वाली कई मूर्तियां और धरोहर पिछले कुछ सालों में वापस लाई गई हैं। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने संसद सत्र के दौरान राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया था कि 7 साल में 75 फीसदी ऐतिहासिक धरोहरें वापस लाई गईं हैं। उनके मुताबिक, 2014 से 2020 तक 41 विरासत वस्तुएं और मूर्तियां भारत वापस आई हैं, जो करीब 75 फीसदी से ज्यादा है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जर्मनी से भी कई मूर्तियां भारत वापस आ चुकी हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, कानूनी प्रक्रिया में थोड़ा लंबा समय लग जाता है।

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