देहरादून। उत्तराखंड (Uttrakhand) में एक बार फिर भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए हैं. जोशीमठ (Joshimath) से 31 किलोमीटर पश्चिम दक्षिण पश्चिम (WSW) में आज सुबह 5:58 बजे भूकंप आया.
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भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.6 रही
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (National Center for Seismology) के मुताबिक, इस भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.6 रही.
भूकंप के जोन 5 में आता है उत्तराखंड
हालांकि अभी तक भूकंप की वजह से किसी जानमाल की सूचना नहीं है. बता दें कि भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है. उत्तराखंड भूकंप के जोन 5 में आता है.
भूकंप के झटकों से लोगों में दहशत
इस दौरान उत्तराखंड के चमोली, पौड़ी, अल्मोड़ा आदि जिलों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. हालांकि भूकंप के झटकों की वजह से लोगों में दहशत फैल गई और वह अपने घरों से बाहर निकल आए.
इससे पहले भी इन जिलों में आया भूकंप
इससे पहले अगस्त में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 3.8 तीव्रता का भूकंप आया था. जबकि 24 जुलाई को देर रात उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.
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भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 मापी गई थी. उत्तरकाशी से पहले उत्तराखंड के एक और पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ में भी बीती 28 जून को 3.7 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था. तब इस भूकंप का केंद्र पिथौरागढ़ से 55 किलोमीटर दूर पाया गया था.
IIT रुड़की ने बनाया उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप
आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) के वैज्ञानिकों की टीम ने उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप (Earthquake Alert App) बनाया है, जोकि 5.5 तीव्रता का भूकंप आने पर अलर्ट करेगा.
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भूकंप आने के बाद फंसे लोगों की भी लोकेशन बताएगा एप
उत्तराखंड में भूकंप आने पर मौजूदा समय में 71 सायरन और 165 सेंसर लगे हैं. देश में पहली बार ऐसा मोबाइल एप उत्तराखंड में बनाया गया है जो भूकंप आने से 20 सेकंड पहले न सिर्फ चेतावनी देगा बल्कि भूकंप आने के बाद फंसे लोगों की भी लोकेशन बताएगा.
इस पर पिछले चार साल काम कर रही थी आईआईटी रुड़की
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, उत्तराखंड सरकार और आईआईटी रुड़की की टीम के द्वारा उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप बनाया गया है. आईआईटी रुड़की इस पर पिछले चार साल से काम कर रहा था.
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भूकंप आने से जानमाल के नुकसान को कम किया जा सकेगा
उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप मोबाइल पर डाउनलोड कर के कोई भी व्यक्ति रजिस्ट्रेशन कर सकता है. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि, भूकंप आने से जानमाल के नुकसान को कम किया जा सकेगा.