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भारतीय दूतावास में घुसे तालिबानी, गाड़ी और दस्तावेज ले गए

नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता पर काबिज होते ही तालिबान (Taliban) ने पैंतरे भी चलने शुरू कर दिए हैं। भारत (India) के साथ वह वहीं चाल चल रहा है जो चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) चलता आया है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से सामने आया है कि, तालिबान ने काबुल पर कब्जा जमाते ही भारत से संपर्क साधा था और रिश्ते न तोड़ने की पेशकश की थी। 

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इस बीच सबसे चौंकाने वाली खबर यह सामने आई है कि, तालिबान के लड़ाके बुधवार को कंधार और हेरात में बंद पड़े भारतीय वाणिज्य दूतावास भी पहुंचे थे और तलाशी ली थी। 

बंद भारतीय दूतावास में घुसे तालिबानी, गाड़ी और दस्तावेज ले गए

सूत्रों के मुताबिक, कंधार और हेरात में बंद भारतीय दूतावास में बुधवार को कुछ तालिबानी आतंकी घुसे थे और वहां कागजातों की छानबीन भी की थी। इसके बाद वे कुछ कागज और दूतावास के बाहर खड़ी कारें अपने साथ लेकर चले गए।

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भारतीय अधिकारियों का कहना है, तालिबान अपने उस वादे के खिलाफ काम कर रहा है, जिसमें उसने दुनिया से किसी को नुकसान न पहुंचाने का आश्वासन दिया था। 

वहीं, हेरात में भी तालिबानियों ने वाणिज्य दूतावास परिसर में प्रवेश किया और वाहनों को ले गए। एक ओर जहां हक्कानी नेटवर्क कैडर बड़े पैमाने पर काबुल को नियंत्रित कर रहा है।

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दिवंगत मुल्ला उमर के बेटे और तालिबान सैन्य आयोग के प्रमुख मुल्ला याकूब के नेतृत्व वाला तालिबान गुट पश्तूनों की पारंपरिक सीट कंधार से सत्ता और सरकार लेने की योजना बना रहे हैं। मुल्ला बरादर 18 अगस्त को दोहा से आने के बाद मुल्ला याकूब से मिला है।

तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास, भारतीय पक्ष के पास पहुंचे थे और अनुरोध किया था वे भारतीय दूतावास बंद न करें।

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तालिबान की ओर से उन्हें कोई खतरा नहीं होगा, लेकिन बीते गुरुवार को तालिबान ने अफगानिस्तान और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते तोड़ दिए। अब न तो वहां से कुछ आयात किया जा सकता है और न कुछ निर्यात किया जा सकेगा। 

तालिबान का अहम सदस्य है मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई

बीते दिनों भारत ने अफगानिस्तान से अपने 200 लोगों को बाहर निकाला था। इससे ठीक पहले तालिबानी नेता मोहम्मद अब्बास ने भारत के सामने दोस्ती की पेशकश रखी थी।

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बता दें कि मोहम्मद अब्बास कतर की राजधानी दोहा में तालिबान के राजनीतिक मोर्चा वाले नेतृत्व का अहम सदस्य है और वह हमेशा से ही अफगानिस्तान में भारत की भूमिका का आलोचक रहा है। ऐसे में दोस्ती के संदेश ने भारतीय अधिकारियों को भी चौंका दिया था। 

भारत को मिली थी खुफिया रिपोर्ट
 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के पास तालिबान की कुछ खुफिया जानकारी थी। इसके तहत भारत को यह सूचना मिली थी कि, तालिबान का कब्जा होते ही लश्कर और हक्कानी के आतंकी काबुल में प्रवेश कर गए हैं।

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जिनसे भारतीय दूतावास के अधिकारियों को खतरा हो सकता है। इसलिए भारत ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अपने राजनायिकों को सैन्य विमान से वापस बुला लिया था। 

भारत के लोगों को अफगानिस्तान से निकालने की कोशिश

भारत की ओर से अफगानिस्तान में फंसे अपने लोगों को निकालने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। स्थानीय हालात को देखते हुए भारतीय वायुसेना को ही फंसे हुए भारतीयों को निकालने की जिम्मेदारी मिल सकती है।

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ममता बनर्जी ने की बंगालवासियों को सुरक्षित लाने की बात

वहीं, तालिबान अब अफगानिस्तान में अपनी नई सरकार बनाने की कोशिशों में लगा है। इसके साथ ही अफगानिस्तान में फंसे बंगालवासियों को सुरक्षित वापस लाने के लिए ममता सरकार के प्रयासों पर भाजपा ने कटाक्ष किया।

गुरुवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद दिलीप घोष ने अफगानिस्तान में फंसे लोगों को सुरक्षित वापसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा करने की सलाह दी।

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दरअसल, ममता सरकार ने अफगानिस्तान में बंगाल के 200 लोगों के फंसे होने की जानकारी दी है। सरकार ने दावा किया इन लोगों को वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है।

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