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Most Favoured Nation क्या? जिसके हटने से भारत में क्या-क्या होगा महंगा?

What is Most Favoured Nation (MFN): यूरोपीय देश स्विट्जरलैंड ने भारत से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस लेने का ऐलान कर दिया है। आइए जानते हैं MFN आखिर क्या है और इससे भारत को क्या नुकसान उठाना पड़ सकता है?

What is Most Favoured Nation (MFN): बीते दिन स्विट्जरलैंड से एक बुरी खबर सामने आई। स्विट्जरलैंड ने भारत का मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस लेने की घोषणा कर दी है। इससे भारत पर काफी असर पड़ने वाला है। स्विट्जरलैंड का यह आदेश 1 जनवरी 2025 से लागू हो जाएगा। तो आइए जानते हैं कि MFN आखिर क्या है? इससे भारत में कई चीजों के दाम तेजी से बढ़ सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे?

Most Favoured Nation क्या है?

मोस्ट फेवर्ड नेशन दो देशों के बीच का आपसी समझौता होता है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) की मानें तो MFN के तहत दोनों देशों के व्यापार में कोई भेदभाव नहीं होगा। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच दोहरे कराधान समझौते (DTA) पर करार हुआ था। इसके तहत दोनों देशों की कंपनियों को टैक्स में छूट मिलती थी। इससे भारतीय कंपनियां स्विट्जरलैंड और स्विस कंपनियां भारत में तगड़ा मुनाफा कमाती थीं।

भारत पर क्या होगा असर?

अब स्विट्जरलैंड ने MFN को रद्द करने की घोषणा कर दी है। जिससे भारतीय कंपनियों को स्विट्जरलैंड में तगड़ा टैक्स चुकाना होगा। इसका असर स्विट्जरलैंड से आने वाले सामान पर भी देखने को मिलेगा। उदाहरण के लिए नेस्ले एक स्विस कंपनी है, जिसकी मैगी, मंच और किटकैट चॉकलेट, डेयरी प्रोडक्ट्स, कॉफी जैसी चीजें भारत में धड़ल्ले से इस्तेमाल होती हैं। मगर 1 जनवरी से ये चीजें महंगी हो सकती हैं।

भारतीय कंपनियों को देना होगा कितना टैक्स?

स्विट्जरलैंड के इस आदेश के बाद भारतीयों कंपनियों को गहरा धक्का लगा है। 1 जनवरी 2025 से भारतीयों कंपनियों के लिए स्विट्जरलैंड में नए नियम लागू हो जाएंगे। इसके तहत भारतीय कंपनियों को स्विट्जरलैंड में जो भी मुनाफा होगा, उसका 10 प्रतिशत टैक्स के रूप में स्विस सरकार को देना अनिवार्य होगा।

स्विट्जरलैंड ने क्यों उठाया यह कदम?

बता दें कि स्विट्जरलैंड ने यह फैसला भारत में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लिया है। नेस्ले कंपनी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए टैक्स बढ़ाने की बात कही थी। सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि जब तक DTA को आयकर अधिनियम के तहत अधिसूचित नहीं किया जाता, तब तक नेस्ले समेत सभी स्विस कंपनियों को दोगुना टैक्स देना होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद स्विट्जरलैंड सरकार ने भी MFN रद्द करने का ऐलान कर दिया।

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